“Khel khel me chod diya”

Khel khel me chod diya mujhe mere bhai ne

Khel khel me chod diya
हाय दोस्तों, मेरा नाम राधा है। मैं 17 साल की हूँ, और ये कहानी मेरे और मेरे भाई सोनू की है। सोनू मुझसे 2 साल बड़ा है, 19 का। हम दोनों गाँव में रहते हैं, एक छोटे से घर में, जहाँ मम्मी-पापा खेतों में काम करने जाते हैं। दिनभर हम अकेले रहते थे, और बचपन से ही हमारी खूब बनती थी। पर एक दिन, जो खेल-खेल में शुरू हुआ, वो ऐसा मोड़ ले गया कि मेरी ज़िंदगी बदल गई। आज मैं अपने दिल का बोझ यहाँ लिख रही हूँ, क्योंकि ये दर्द और वो पल मेरे अंदर समाए हैं। वो दर्द भरा सच

बात उस दोपहर की है, जब मम्मी-पापा खेत गए थे। गर्मी बहुत थी, और हम दोनों घर के आँगन में बैठे थे। सोनू बोला, “राधा, बोर हो रहा हूँ, कुछ खेलते हैं।” मैंने हँसकर कहा, “क्या खेलें, भइया? तू बता।” उसने कहा, “चल, लुका-छिपी खेलते हैं।” मुझे मज़ा लगा, क्योंकि बचपन में हम खूब खेलते थे। मैंने कहा, “ठीक है, तू पहले छुप।” वो हँसते हुए घर के पीछे चला गया, और मैं आँखें बंद करके गिनने लगी।

10 तक गिनती पूरी हुई, और मैं उसे ढूँढने निकली। घर छोटा था, पर कोने-कोने में जगह थी। मैंने पहले रसोई देखी, फिर कमरे में गई। वहाँ बिस्तर के नीचे झाँका, पर वो नहीं मिला। फिर मैंने बाहर आँगन में देखा, और अचानक पीछे से उसने मुझे पकड़ लिया। उसकी बाँहें मेरी कमर पर थीं, और वो हँसते हुए बोला, “पकड़ लिया!” मैं भी हँस पड़ी, पर उसकी पकड़ ढीली नहीं हुई। उसने मुझे ज़ोर से गले लगाया, और उसकी साँसें मेरे गले पर लगीं। मुझे अजीब सा लगा, पर मैंने सोचा ये तो खेल का हिस्सा है।

फिर वो बोला, “अब तू छुप, मैं ढूँढता हूँ।” मैं भागकर कमरे में गई और अलमारी के पीछे छुप गई। वो आया, और मुझे ढूँढने लगा। उसकी आवाज़ सुनाई दी, “राधा, कहाँ है तू?” मैं चुप रही, पर उसने मुझे देख लिया। वो मेरे पास आया और बोला, “हाय, कितनी चालाक है तू!” उसने मुझे अलमारी से खींच लिया, और इस बार उसने मेरे कंधों को पकड़ा। उसकी नज़रें मेरे चेहरे पर थीं, और उसका चेहरा मेरे करीब आ गया। उसने मेरे गाल पर एक चुम्मी दे दी। मैं शरमा गई, और बोली, “भइया, ये क्या कर रहा है?” वो हँसा, “खेल में तो ऐसा होता है।”

फिर उसने मुझसे कहा, “चल, अब दूसरा खेल खेलते हैं।” मैंने पूछा, “कौन सा?” वो बोला, “पकड़ा-पकड़ी, पर थोड़ा मज़ेदार।” मैं समझ नहीं पाई, पर उसने मुझे फिर से पकड़ लिया। इस बार उसने मेरे हाथ पीछे करके पकड़े, और मेरे गले पर अपना मुँह रख दिया। उसकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लगीं, और उसने वहाँ चूमना शुरू कर दिया। मैं घबरा गई, और बोली, “भइया, छोड़ ना, ये क्या कर रहा है?” पर उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और बोला, “चुप रह, मज़ा आएगा।”

उसने मुझे ज़मीन पर लिटा दिया। मैंने फ्रॉक पहनी थी, और उसने मेरी फ्रॉक ऊपर उठा दी। मैं चीख़ी, “भइया, मत कर!” पर उसने मेरी पैंटी पर हाथ रखा और उसे नीचे खींच दिया। मैं शरम से मर रही थी, और मेरा जिस्म काँप रहा था। उसने मेरी जाँघों को अपने हाथों से दबाया, और वहाँ चूमने लगा। उसकी जीभ मेरी जाँघों पर फिसल रही थी, और वो उन्हें चाटने लगा। मुझे गुदगुदी हुई, पर डर भी लगा। मैं उठना चाहती थी, पर उसने मुझे ज़ोर से दबा रखा था।

फिर उसने मेरी फ्रॉक पूरी तरह उतार दी। मैं नंगी उसके सामने थी, और वो मेरे सीने पर झुक गया। उसने मेरे छोटे-छोटे उभारों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निपल्स पर घूम रही थी, और वो उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। दर्द हुआ, और मैं कराह उठी। मैंने कहा, “भइया, दर्द हो रहा है, छोड़ दो।” पर वो रुका नहीं। उसने मेरे पेट पर चूमना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरी नाभि में घुसी। मैं सिहर उठी, और मेरा जिस्म गर्म होने लगा।

वो नीचे की ओर बढ़ा। उसने मेरे प्राइवेट पार्ट को अपने हाथों से छुआ, और फिर अपना मुँह वहाँ ले गया। उसकी जीभ मेरे उस हिस्से पर लगी, और वो उसे चाटने लगा। पहले तो मुझे शर्मिंदगी हुई, पर उसकी गर्म जीभ से एक अजीब सा दर्द और गुदगुदापन होने लगा। वो मेरे प्राइवेट पार्ट को चूसने लगा, और उसकी उंगलियाँ मेरे अंदर डाल दीं। मैं चीख़ी, “भइया, ये क्या कर रहे हो?” पर उसने मेरे मुँह पर फिर से हाथ रख दिया और बोला, “चुप रह, अभी और मज़ा आएगा।”

उसकी उंगलियाँ मेरे अंदर बार-बार घूम रही थीं, और दर्द बढ़ता जा रहा था। मैं छटपटा रही थी, पर वो रुका नहीं। फिर उसने अपनी पैंट खोली। उसका प्राइवेट पार्ट मेरे सामने था, और उसने उसे मेरे मुँह की ओर बढ़ाया। मैं डर गई, और बोली, “नहीं, भइया, ये मत करो।” पर उसने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरा मुँह अपने पास खींच लिया। उसने मेरे होंठों पर अपना हिस्सा रगड़ा, और फिर उसे मेरे मुँह में डाल दिया। मैं घुटन से तड़प उठी, और वो मेरे मुँह में उसे बार-बार घुसाने लगा। मेरा गला दर्द से भर गया।

फिर उसने मुझे ज़मीन पर पटक दिया। मेरे पैर फैलाए, और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपने प्राइवेट पार्ट को मेरे प्राइवेट पार्ट पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा। एक तेज़ दर्द हुआ, जैसे कोई मेरे अंदर चाकू घुसा रहा हो। मैं चीख़ी, “भइया, छोड़ दो, मर जाऊँगी!” पर उसने मेरे मुँह पर थप्पड़ मारा और बोला, “चुप रह, अभी शुरूआत है।” खून बहने लगा, और मेरा जिस्म दर्द से टूट रहा था। वो मेरे अंदर बार-बार घुसता रहा, और हर धक्के के साथ मेरा दर्द बढ़ता गया। मैं रो रही थी, पर उसकी हवस रुकी नहीं।

उसने मुझे पलट दिया और पीछे से मेरे साथ वही किया। उसकी उंगलियाँ मेरे गले को दबा रही थीं, और वो मेरे कानों को चूस रहा था। मेरी पीठ पर उसके नाखूनों के निशान पड़ गए। वो मेरे जिस्म को हर तरह से नोंच रहा था। मैं दर्द से कराह रही थी, और मेरा खून ज़मीन पर फैल रहा था। उसने मेरे मुँह में फिर से अपना हिस्सा डाला, और इस बार उसका पानी मेरे गले में गया। मैं खाँस उठी, पर वो हँसता रहा।

करीब एक घंटे तक वो मेरे साथ ये सब करता रहा। मेरे प्राइवेट पार्ट से खून और पानी बह रहा था। फिर उसने मुझे उठाकर बिस्तर पर डाला। उसने मेरे पैर अपने कंधों पर रखे और फिर से मेरे अंदर घुस गया। इस बार दर्द के साथ एक अजीब सा गर्मापन भी था। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था, और मेरा जिस्म उसकी ताल में हिल रहा था। मैं चीख़ रही थी, पर मेरी आवाज़ धीमी पड़ गई। वो मेरे सीने को मसल रहा था, और उसका मुँह मेरे गले पर था।

दूसरे घंटे में उसने मुझे कई बार पलटा। कभी पीछे से, कभी मेरे ऊपर, कभी मेरे मुँह में। उसका पानी मेरे प्राइवेट पार्ट में बार-बार छूट रहा था, और मेरा जिस्म उससे भर गया। दर्द अब कम हो रहा था, और एक अजीब सा मज़ा आने लगा। मेरा शरीर थक चुका था, पर वो रुका नहीं। उसने मेरे जिस्म को हर तरह से भोगा। आखिरी बार उसने मुझे इतना ज़ोर से मारा कि मेरा खून फिर से बहने लगा, और उसका पानी मेरे अंदर छूट गया।

जब वो थक गया, तो मेरे पास लेट गया। मैं नंगी, खून और पानी से सनी, बिस्तर पर पड़ी थी। उसने मेरे गाल पर हाथ फेरा और बोला, “मज़ा आया न?” मैं चुप रही, क्योंकि मेरा दर्द और मज़ा दोनों एक हो गए थे। वो उठा, कपड़े पहने, और चला गया। मैं वहाँ पड़ी रही, टूटी हुई। मम्मी-पापा जब आए, तो मैंने बिस्तर ठीक किया और चुपचाप नहा ली। कुछ न कहा, पर मेरा जिस्म उस दर्द को भूल नहीं सका। सोनू अब भी मेरा भाई है, पर वो खेल मेरे लिए एक काला सच बन गया।

 

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