Barish ki raat meri chudai
Barish ki raat meri chudai
हाय दोस्तों, मैं हूँ नेहा। उम्र 15 साल, और ये कहानी मेरे और मेरे भाई अजय की है। अजय मुझसे 4 साल बड़ा है, 19 का। हम शहर के बाहरी इलाके में एक पुराने मकान में रहते हैं। मम्मी-पापा की दुकान है, जो दिनभर उन्हें बाहर रखती है। मैं और अजय अक्सर घर पर अकेले रहते थे। वो मेरा भाई था, मेरा दोस्त भी, पर एक रात उसने जो किया, वो मेरे लिए दर्द, हवस, शर्मिंदगी और एक अजीब सी प्यास का मिश्रण बन गया। आज मैं अपनी कलम से वो सच लिख रही हूँ, जो मेरे जिस्म और मन में बस गया। बारिश की वो रात
बात उस बारिश की रात की है। आसमान काला था, बिजली चमक रही थी, और तेज़ हवा चल रही थी। मम्मी-पापा दुकान से देर से लौटने वाले थे, क्योंकि बारिश ने रास्ते बंद कर दिए थे। मैं घर की छत पर थी, कपड़े उतारने गई थी, जो सूखने के लिए डाले थे। मेरी सलवार-कमीज़ भीग चुकी थी, और मैं ठंड से काँप रही थी। अजय नीचे कमरे में टीवी देख रहा था। मैंने उसे पुकारा, “भइया, छत पर आ, कपड़े उतारने में मदद कर दे, बारिश तेज़ हो रही है।” वो ऊपर आया, उसकी बनियान और पैंट भी बारिश में थोड़ी गीली थी।
छत पर हवा के झोंके चल रहे थे, और बारिश की बूँदें हमें भिगो रही थीं। अजय ने रस्सी से कपड़े उतारने शुरू किए, और मैं उन्हें समेट रही थी। अचानक बिजली कड़की, और मैं डर के मारे उससे चिपक गई। उसकी बाँहें मेरे चारों ओर लिपट गईं, और उसका गीला शरीर मुझसे सटा। उसकी साँसें मेरे कानों के पास थीं, और उसने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया। मैंने कहा, “भइया, चलो नीचे चलते हैं, डर लग रहा है।” पर उसकी आँखों में कुछ और था। वो बोला, “रुक जा, नेहा, थोड़ा मज़ा करते हैं।”
उसने मुझे छत की दीवार से सटा दिया। बारिश की बूँदें मेरे चेहरे पर गिर रही थीं, और उसने मेरा दुपट्टा खींच लिया। मेरी भीगी कमीज़ मेरे जिस्म से चिपक गई थी। उसने मेरे गाल को अपने हाथों से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं घबरा गई, और बोली, “भइया, ये क्या कर रहे हो?” पर उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और बोला, “चुप रह, बारिश में कोई नहीं सुनेगा।” उसकी जीभ मेरे होंठों पर फिसली, और वो मुझे चूसने लगा। मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था, और शर्मिंदगी मुझे खा रही थी।
उसने मेरी कमीज़ ऊपर उठाई, और मेरे पेट को अपने हाथों से दबाया। बारिश का पानी मेरे जिस्म पर बह रहा था, और उसने मेरे पेट पर अपना मुँह रख दिया। उसकी जीभ मेरे पेट पर घूम रही थी, और वो उसे चाटने लगा। मैं सिहर उठी, और बोली, “भइया, छोड़ दो, ग़लत है।” पर उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया। मेरी सलवार नीचे गिर गई, और मैं सिर्फ़ पैंटी में थी। उसने मेरी जाँघों को अपने हाथों से मसला, और वहाँ चूमना शुरू कर दिया। उसकी उंगलियाँ मेरी पैंटी के किनारे से अंदर गईं, और वो मेरे प्राइवेट पार्ट को रगड़ने लगा। मुझे दर्द हुआ, पर एक अजीब सी गर्मी भी थी।
उसने मेरी पैंटी नीचे खींच दी। मैं नंगी छत पर खड़ी थी, बारिश मुझे भिगो रही थी। उसने मेरे प्राइवेट पार्ट को अपने मुँह से छुआ, और उसे चाटना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरे अंदर तक जा रही थी, और वो उसे चूस रहा था। मैं शरम से मर रही थी, पर मेरा जिस्म उसकी हरकतों से गर्म हो रहा था। उसने अपनी उंगलियाँ मेरे अंदर डाल दीं, और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा। मैं चीख़ी, “भइया, दर्द हो रहा है!” पर उसने मेरे बाल पकड़ लिए और बोला, “रो मत, अभी मज़ा आएगा।”
फिर उसने अपनी पैंट उतारी। उसका प्राइवेट पार्ट मेरे सामने था, गीला और सख्त। उसने मुझे दीवार से सटाकर मेरे मुँह की ओर बढ़ाया। मैं डर गई, और बोली, “नहीं, भइया, ये मत करो।” पर उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और उसे मेरे मुँह में घुसा दिया। मेरा गला भर गया, और मैं खाँसने लगी। वो मेरे मुँह में बार-बार घुस रहा था, और उसका पानी मेरे गले में गया। मैं तड़प रही थी, पर उसकी हवस रुकी नहीं। उसने मेरे चेहरे पर थप्पड़ मारा और बोला, “चूस ले, नेहा, डर मत।” मैं रो रही थी, पर उसकी पकड़ में थी।
उसने मुझे छत पर गीली ज़मीन पर लिटा दिया। बारिश का पानी मेरे जिस्म पर बह रहा था। उसने मेरे पैर फैलाए, और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपने प्राइवेट पार्ट को मेरे प्राइवेट पार्ट पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा। एक तेज़ दर्द हुआ, जैसे कोई मेरे अंदर चाकू चला रहा हो। खून बहने लगा, और मैं चीख़ी, “भइया, मर जाऊँगी, छोड़ दो!” उसने मेरे मुँह पर हाथ रखा और बोला, “चुप रह, बारिश सब ढक देगी।” वो मेरे अंदर बार-बार घुस रहा था, और मेरा जिस्म दर्द से टूट रहा था। मैं छटपटा रही थी, पर वो रुका नहीं। उसने मेरे सीने को ज़ोर से दबाया, और मेरे निपल्स को अपने दाँतों से काट लिया। खून और बारिश का पानी मेरे जिस्म पर मिल गया।
फिर उसने मुझे घुटनों के बल बैठाया। मेरे पीछे से उसने मेरे अंदर घुसना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ मेरे गले को जकड़ रही थीं, और वो मेरी पीठ पर अपने नाखून गड़ा रहा था। मैं दर्द से कराह रही थी, और मेरी चीखें बारिश में दब रही थीं। उसने मेरे प्राइवेट पार्ट में अपना पानी छोड़ दिया, और मेरा जिस्म उससे भर गया। मैं थक चुकी थी, पर उसकी भूख ख़त्म नहीं हुई। उसने मेरे मुँह में फिर से अपना हिस्सा डाला, और इस बार उसका पानी मेरे चेहरे पर छूट गया। मैं शर्मिंदगी और हवस के बीच कहीं खो गई थी।
करीब एक घंटे तक वो मेरे साथ ये सब करता रहा। मेरा खून, उसका पानी, और बारिश सब एक हो गए थे। फिर उसने मुझे छत की रेलिंग से सटा दिया। मेरे पैर हवा में थे, और उसने फिर से मेरे अंदर घुसना शुरू किया। इस बार दर्द के साथ एक अजीब सा मज़ा था। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था, और मेरा जिस्म उसकी ताल में हिल रहा था। मैं चीख़ रही थी, पर मेरी आवाज़ में अब एक प्यास भी थी। उसने मेरे गले को चूसा, और मेरे सीने को अपने हाथों से मसला। दर्द और मज़ा एक हो गए थे।
दूसरे घंटे में उसकी हवस और बढ़ गई। उसने मुझे कई बार पोज़िशन बदली – कभी रेलिंग पर, कभी ज़मीन पर, कभी मेरे मुँह में। उसका पानी मेरे प्राइवेट पार्ट में बार-बार छूट रहा था, और मेरा जिस्म उससे लथपथ था। मैं थक चुकी थी, पर मेरी भूख भी जाग गई थी। मैं अब उसकी हर हरकत का जवाब दे रही थी। वो मेरे जिस्म को नोंच रहा था, और मैं उसकी हवस में बह रही थी। आखिरी बार उसने मुझे इतना ज़ोर से मारा कि मेरा खून फिर से बहने लगा। उसका पानी मेरे अंदर, मेरे मुँह में, और मेरे चेहरे पर छूट गया। मैं टूट चुकी थी, पर मेरा जिस्म उस मज़े में डूब गया था।
जब वो थक गया, तो मेरे पास बैठ गया। बारिश अब धीमी हो रही थी। उसने मेरे गाल पर हाथ फेरा और बोला, “नेहा, तू मेरी बहन नहीं, मेरी आग है।” मैं चुप रही, क्योंकि मेरा दर्द, मेरी शर्मिंदगी, और मेरी प्यास सब एक हो गए थे। वो उठा, कपड़े पहने, और नीचे चला गया। मैं नंगी, खून और पानी से सनी, छत पर पड़ी रही। मम्मी-पापा आए, तो मैंने किसी तरह कपड़े पहने और चुपचाप नहा ली। पर अजय अब मेरा भाई नहीं, मेरी हवस का हिस्सा बन गया। हर बारिश में मैं उस रात को याद करती हूँ, और मेरी प्यास फिर जाग उठती है।