Bete ki chahat aur meri chut ka maja

Bete ki chahat aur meri chut ka maja

Bete ki chahat aur meri chut ka maja
हाय दोस्तों, मेरा नाम माया है। मैं 39 साल की हूँ। मेरा जिस्म पतला और चुस्त है, कमर 28 इंच की, और मेरा फिगर 34-28-36 है। मेरे लंबे बाल और हल्का साँवला रंग मुझे एक अलग ही खूबसूती देता है। मैं एक छोटे से कस्बे में रहती हूँ, जहाँ मेरा पति रमेश एक छोटी दुकान चलाता है। हमारा घर दुकान के ठीक ऊपर है। मेरा पति दिनभर दुकान में व्यस्त रहता है, और रात को थककर सो जाता है। हमारे दो बच्चे हैं – एक 17 साल का बेटा, वरुण, और एक 14 साल की बेटी। लेकिन ये कहानी मेरे और वरुण के बीच की है, जो एक दिन मेरे लिए एक नया मोड़ ले आई।
बेटे की चाहत और मेरी चूत का मज़ा

उस दिन सुबह के 10 बजे थे। आसमान में हल्की धूप थी, और हवा में नमी की ठंडक थी। मैंने नीले रंग का सूट पहना था, जो मेरे जिस्म से चिपककर मेरी कमर और चूतड़ों को उभार रहा था। मैं किचन में खड़ी थी, सब्ज़ियाँ काट रही थी। वरुण नीचे हॉल में अपने दोस्तों के साथ बैठा था। उसकी हँसी की आवाज़ ऊपर तक आ रही थी। मैंने उसे आवाज़ दी, “वरुण, दोस्तों को चाय पिलाऊँ क्या?” वो ऊपर आया और बोला, “हाँ मम्मी, दो कप बना दो, वो लोग अभी थोड़ी देर और रुकेंगे।” उसने मुझे देखा और कहा, “आप आज बहुत अच्छी लग रही हैं।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, अब चाय ले जा।” वो चाय लेकर नीचे चला गया।

मैं किचन में काम करती रही। मेरे मन में रोज़ की तरह कई सवाल थे। रमेश को देखे हुए हफ्तों बीत गए थे। वो दुकान में इतना व्यस्त रहता था कि मुझे ठीक से वक़्त भी नहीं दे पाता था। मेरी चूत की प्यास मुझे अंदर ही अंदर तड़पाती थी, लेकिन मैं इसे दबा लेती थी। दोपहर हुई। वरुण के दोस्त चले गए, और वो ऊपर मेरे पास आया। मैं बर्तन धो रही थी। उसने कहा, “मम्मी, आप थक गई होंगी, मैं बर्तन साफ़ कर दूँ?” मैंने कहा, “नहीं बेटा, तू आराम कर, मैं कर लूँगी।” वो मेरे पास खड़ा रहा और बोला, “आप हमेशा मेहनत करती हैं, मुझे अच्छा नहीं लगता।” उसकी बातों में एक प्यार था।

शाम को मैंने सोचा कि छत पर कुछ देर बैठूँ। मैंने वरुण से कहा, “चल, छत पर चलते हैं, थोड़ी ताज़ी हवा लेते हैं।” वो मेरे साथ आया। हम दोनों कुर्सियों पर बैठ गए। छत से बाज़ार की हलचल दिख रही थी। मैंने कहा, “वरुण, तेरा कॉलेज कैसा चल रहा है?” वो बोला, “अच्छा है मम्मी, लेकिन मुझे घर पर आपके साथ वक़्त बिताना ज़्यादा अच्छा लगता है।” मैंने हँसते हुए कहा, “अच्छा, अब मुझ बूढ़ी को तारीफ़ करने लगा?” वो बोला, “आप बूढ़ी नहीं, बहुत सुंदर हैं।” उसकी नज़रें मेरे चेहरे से नीचे की ओर गईं। मेरे सूट का दुपट्टा हवा में उड़ रहा था, और मेरी चूचियों की शेप हल्की दिख रही थी। मुझे एक अजीब सी गर्मी महसूस हुई।

रात के 8 बजे थे। मैंने खाना बनाया – रोटी, दाल, और सब्ज़ी। हम दोनों ने साथ में खाया। मैंने कहा, “वरुण, आज तूने मेरे साथ छत पर वक़्त बिताया, अच्छा लगा।” वो बोला, “मम्मी, मुझे हर दिन आपके साथ रहना अच्छा लगता है।” खाने के बाद मैं अपने कमरे में गई। मैंने लाल रंग की नाइटी पहनी और बेड पर बैठ गई। मेरे मन में बेचैनी थी। मैंने सोचा कि आज रमेश को फोन करूँ, लेकिन फिर मन नहीं किया। तभी वरुण मेरे कमरे में आया। उसने कहा, “मम्मी, आप सोई नहीं अभी?” मैंने कहा, “नहीं बेटा, नींद नहीं आ रही।” वो मेरे पास बैठ गया। उसने नीली टी-शर्ट और ग्रे शॉर्ट्स पहने थे।

उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला, “मम्मी, आप कुछ परेशान लग रही हैं।” मैंने कहा, “बस यूँ ही, कभी-कभी मन उदास हो जाता है।” वो मेरे करीब आया और बोला, “मम्मी, मैं आपके लिए सब कुछ कर सकता हूँ।” उसकी बातों में एक अजीब सी गहराई थी। उसने मेरे गाल को छुआ। मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई। मैंने कहा, “वरुण, ये क्या कर रहा है?” वो बोला, “मम्मी, मुझे आपकी चूचियाँ बहुत अच्छी लगती हैं।” उसकी बात सुनकर मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने कहा, “बेटा, ये गलत है।” पर वो मेरे होंठों के पास आया और बोला, “मम्मी, आपकी चूत को चोदना चाहता हूँ।” मेरे मन में हलचल मच गई। मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरी बुर गीली हो चुकी थी।

उसने मेरी नाइटी का किनारा उठाया। मैंने कहा, “वरुण, रुक जा।” लेकिन मेरे जिस्म ने मेरी बात नहीं मानी। उसने नाइटी को खींचकर उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ अंदर के कपड़ों में थी। मैंने नीली पैंटी और सफेद ब्रा पहनी थी। वो बोला, “मम्मी, आपकी चूचियाँ तो मस्त हैं।” उसने मेरी ब्रा उतार दी। मेरे नंगे चूचे उसके सामने थे। उसने मेरे निपल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। मैंने कहा, “अजय, चूसो, मेरी चूचियों को मज़ा दो!” उसकी जीभ मेरे चूचों पर फिसल रही थी। मैंने कहा, “होंठ चूसो।” उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लिया और चूसने लगा। मेरी साँसें उखड़ रही थीं।

उसने मेरी पैंटी को नीचे खींचा। मेरी चूत नंगी थी, टाइट, गीली। वो बोला, “मम्मी, आपकी बुर तो बहुत मस्त है।” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और चाटने लगा। मैंने कहा, “वरुण, चाटो, मेरी चूत को मज़ा दो!” उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर घूम रही थी। मैंने कहा, “और चूसो!” मेरी चूत से पानी टपक रहा था। उसने मेरी कमर को पकड़ा और मेरी नाभि को चूमा। मैंने कहा, “गांड भी चूसो।” उसने मुझे पलट दिया और मेरी गांड पर जीभ फिराई। मैंने कहा, “हाँ, ऐसे ही, मज़ा आ रहा है!”

उसने अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार दिए। उसका जिस्म नंगा था। उसने अंडरवेयर खींचकर फेंका। उसका लंड मेरे सामने था – लंबा, सख्त, पतला। मैंने कहा, “वरुण, तेरा लंड तो मज़ेदार है!” उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखा। मैंने उसे सहलाया और कहा, “इसे मेरे मुँह में डाल।” उसने अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने उसे चूसना शुरू किया। मैंने कहा, “चुदाई करो!” वो बोला, “मम्मी, आपकी चूत को चोदूँगा।” उसने मुझे बेड पर लिटाया। मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैंने कहा, “चोदो, मेरी चूत को पेल दो!” उसने धीरे से डाला। उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैंने कहा, “हाँ, मज़ा आ रहा है!”

वो मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत को पेल रहा था। मैंने कहा, “वरुण, और ज़ोर से चोदो!” उसकी स्पीड बढ़ गई। मेरी चूत गीली थी, और मैं मज़े ले रही थी। उसने मेरे चूचों को पकड़ा और चूसने लगा। मैंने कहा, “गांड भी चोदो।” उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उसके सामने थी। उसने अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा और धीरे से डाला। मैंने कहा, “हाँ, गांड में मज़ा दो!” वो मेरी गांड चोदने लगा। मैंने कहा, “और चोदो!” उसने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया। मैं नंगी बेड पर पड़ी थी। वो बोला, “मम्मी, मज़ा आया?” मैंने कहा, “हाँ बेटा, बहुत मज़ा आया!”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top