Bete ki najar aur meri chut ki chudai
Bete ki najar aur meri chut ki chudai
हाय दोस्तों, मेरा नाम नीलम है। मैं 38 साल की हूँ। मेरा जिस्म पतला और चुस्त है, कमर 28 इंच की, और फिगर 34-28-36। मेरे लंबे बाल और गोरा रंग लोगों को मेरी ओर खींचते हैं। मैं एक छोटे से शहर में रहती हूँ, जहाँ मैं अपने 20 साल के बेटे, अजय, के साथ एक छोटे से मकान में रहती हूँ। मेरा पति एक ट्रक ड्राइवर है, जो महीनों बाहर रहता है, साल में बस दो-तीन बार घर आता है। उसकी कमाई से हमारा घर चलता है, और मैं घर संभालती हूँ। अजय कॉलेज में पढ़ता है, और उसका स्वभाव शांत लेकिन गहरा है। पिछले कुछ महीनों से मेरे मन में एक अजीब सी बेचैनी थी, जो मैं किसी से कह नहीं सकती थी।
बेटे की नज़र और मेरी चूत की चुदाई
उस दिन सुबह के 9 बजे थे। आसमान में हल्के बादल थे, और हवा में ठंडक थी। मैंने हरे रंग का सलवार-सूट पहना था, जो मेरे जिस्म से चिपककर मेरी कमर और चूतड़ों को उभार रहा था। मैं किचन में थी, चाय की चुस्कियाँ लेते हुए खिड़की से बाहर देख रही थी। अजय अपने कमरे में था, शायद किताबें पढ़ रहा था। मैंने उसे आवाज़ दी, “अजय, चाय पी लेगा?” वो बाहर आया, उसने नीली टी-शर्ट और काले शॉर्ट्स पहने थे। वो मेरे पास आया और बोला, “हाँ मम्मी, दे दो।” मैंने उसे चाय का कप थमाया। उसकी नज़रें मेरे चेहरे से नीचे की ओर फिसलीं, और मुझे अजीब सा लगा। मैंने कहा, “क्या देख रहा है?” वो हँसा, “कुछ नहीं, आप आज बहुत अच्छी लग रही हैं।”
उसकी बात सुनकर मेरे मन में एक हल्की सी गुदगुदी हुई। मैंने कहा, “चल, चाय पी और कॉलेज के लिए तैयार हो जा।” वो बोला, “आज क्लास नहीं है, मैं घर पर ही हूँ।” मैंने सोचा, “ठीक है, आज साथ में कुछ वक़्त बिताएँगे।” मैं बर्तन धोने लगी, और वो मेरे पास खड़ा हो गया। उसने कहा, “मम्मी, आपको कभी बोरियत नहीं होती?” मैंने हँसते हुए कहा, “होती है न, लेकिन क्या करूँ? घर की ज़िम्मेदारी है।” वो बोला, “पापा तो कभी घर आते ही नहीं, आपको अकेले कैसे मन लगता है?” उसकी बात में एक गहराई थी। मैंने कहा, “बस, तुम लोग हो न मेरे साथ, उसी से खुश रहती हूँ।” वो मेरे करीब आया और बोला, “मम्मी, मैं आपको हमेशा खुश रखना चाहता हूँ।”
दोपहर हुई। मैंने सोचा कि बाज़ार से कुछ सामान ले आऊँ। मैंने अजय से कहा, “मैं बाज़ार जा रही हूँ, कुछ चाहिए तो बता।” वो बोला, “मम्मी, मैं भी चलूँगा।” हम दोनों स्कूटर पर निकले। मैं आगे बैठी थी, और वो पीछे। उसका जिस्म मेरी पीठ से टच कर रहा था। हवा में मेरे बाल उड़ रहे थे, और उसका हाथ मेरी कमर पर था। मैंने कहा, “अजय, ठीक से पकड़।” वो बोला, “हाँ मम्मी, डर मत।” बाज़ार में हमने सब्ज़ियाँ और कुछ घर का सामान लिया। एक दुकान पर मैं रुकी, और उसने मेरे लिए एक गुलाब का फूल लिया। मुझे थमाते हुए बोला, “ये आपके लिए।” मैंने शरमाते हुए कहा, “ये क्या, फूल की क्या ज़रूरत थी?” वो बोला, “आपको अच्छा लगेगा।” मेरे मन में एक अजीब सी गर्मी उठी।
शाम को हम घर लौटे। मैंने किचन में खाना बनाना शुरू किया। अजय हॉल में टीवी देख रहा था। मैंने उसे बुलाया, “अजय, खाना तैयार है, आ जा।” हम साथ में खाने बैठे। मैंने कहा, “आज तूने मेरे साथ बाज़ार चलकर अच्छा किया, मज़ा आया।” वो बोला, “मम्मी, आपके साथ हर चीज़ में मज़ा आता है।” खाने के बाद मैं बर्तन धोने लगी। वो मेरे पास आया और बोला, “मम्मी, मैं मदद कर दूँ?” मैंने कहा, “नहीं, तू आराम कर।” पर वो मेरे पास खड़ा रहा। उसने मेरी कमर को हल्के से छुआ और बोला, “मम्मी, आप बहुत मेहनत करती हैं।” उसका स्पर्श मेरे जिस्म में बिजली की तरह दौड़ा।
रात के 9 बजे थे। मैं अपने कमरे में थी। मैंने सफेद नाइटी पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपक रही थी। मैं बेड पर बैठी किताब पढ़ रही थी। अजय मेरे कमरे में आया और बोला, “मम्मी, सोई नहीं अभी?” मैंने कहा, “नहीं, नींद नहीं आ रही।” वो मेरे पास बैठ गया। उसकी नज़रें मेरे जिस्म पर थीं। उसने कहा, “मम्मी, आप बहुत सुंदर हैं।” मैंने शरमाते हुए कहा, “अच्छा, अब ये तारीफ़ क्यों?” वो बोला, “सच में, मुझे आपके साथ वक़्त बिताना अच्छा लगता है।” उसकी बातों में एक गहराई थी। मैंने कहा, “अजय, तू बहुत अच्छा बेटा है।” वो मेरे करीब आया और बोला, “मम्मी, मैं आपको और खुश करना चाहता हूँ।”
उसने मेरे हाथ को पकड़ा। मेरे मन में हलचल हुई। मैंने कहा, “ये क्या कर रहा है?” वो बोला, “मम्मी, आपको अकेलापन नहीं लगना चाहिए।” उसने मेरे होंठों को छुआ। मैं सिहर उठी। मेरी चूत में एक अजीब सी गर्मी फैल गई। मैंने कहा, “अजय, ये ठीक नहीं।” पर वो मेरे होंठों के पास आया और बोला, “मम्मी, मुझे आपकी चूत को चोदना है।” उसकी बात सुनकर मेरी साँसें रुक गईं। मैंने उसे रोकने की कोशिश की, “नहीं बेटा, ये गलत है।” पर मेरे जिस्म ने मेरी बात नहीं मानी। उसने मेरे होंठों को चूम लिया। मैंने कहा, “रुक जा।” पर वो बोला, “मम्मी, आपकी चूत को मज़ा चाहिए।”
उसने मेरी नाइटी का किनारा उठाया। मैंने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरी बुर ने मुझे धोखा दे दिया। उसने नाइटी को खींचकर उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ अंदर के कपड़ों में थी। मैंने काले रंग की पैंटी और नीली ब्रा पहनी थी। वो बोला, “मम्मी, आपकी चूचियाँ तो मस्त हैं।” उसने मेरी ब्रा उतार दी। मेरे नंगे चूचे उसके सामने थे। उसने मेरे निपल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। मैंने कहा, “अजय, चूसो, मज़ा आ रहा है!” उसकी जीभ मेरे चूचों पर फिसल रही थी। मैंने कहा, “होंठ चूसो।” उसने मेरे होंठों को चूमा। मेरी साँसें तेज़ हो गईं।
उसने मेरी पैंटी को नीचे खींचा। मेरी चूत नंगी थी, टाइट, गीली। वो बोला, “मम्मी, आपकी चूत तो मज़ेदार है।” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और चाटने लगा। मैंने कहा, “अजय, चाटो, मेरी बुर को मज़ा दो!” उसकी जीभ मेरी चूत में घूम रही थी। मैंने कहा, “और चूसो!” मेरी चूत से पानी टपक रहा था। उसने मेरी गांड को पकड़ा और चूमने लगा। मैंने कहा, “गांड भी चूसो।” उसने मेरी गांड पर जीभ फिराई। मैंने कहा, “हाँ, मज़ा दो!”
उसने अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स उतार दिए। उसका जिस्म नंगा था। उसने अंडरवेयर खींचकर फेंका। उसका लंड मेरे सामने था – लंबा, सख्त। मैंने कहा, “अजय, तेरा लंड तो मस्त है!” उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखा। मैंने उसे सहलाया और कहा, “इसे मेरे मुँह में डाल।” उसने अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने उसे चूसना शुरू किया। मैंने कहा, “चुदाई करो!” वो बोला, “मम्मी, आपकी चूत को चोदूँगा।” उसने मुझे बेड पर लिटाया। मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैंने कहा, “चोदो, मेरी चूत को पेल दो!” उसने धीरे से डाला। उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैंने कहा, “हाँ, मज़ा आ रहा है!”
वो मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत को पेल रहा था। मैंने कहा, “अजय, और ज़ोर से चोदो!” उसकी स्पीड बढ़ गई। मेरी चूत गीली थी, और मैं मज़े ले रही थी। उसने मेरे चूचों को पकड़ा और चूसने लगा। मैंने कहा, “गांड भी चोदो।” उसने मुझे पलट दिया। मेरी गांड उसके सामने थी। उसने अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा और धीरे से डाला। मैंने कहा, “हाँ, गांड में मज़ा दो!” वो मेरी गांड चोदने लगा। मैंने कहा, “और चोदो!” उसने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया। मैं नंगी बेड पर पड़ी थी। वो बोला, “मम्मी, मज़ा आया?” मैंने कहा, “हाँ बेटा, बहुत मज़ा आया!”