“Doctor ne jabardasti Chod diya”

Doctor ne jabardasti Chod diya

Doctor ne jabardasti Chod diya
हाय दोस्तों, मेरा नाम अनु है। मैं 20 साल की हूँ, और ये कहानी उस दिन की है जब मैं बुखार से तड़प रही थी और एक डॉक्टर के पास गई। मैं एक छोटे से कस्बे में रहती हूँ, जहाँ मेरा परिवार खेती करता है। मैं शहर में कॉलेज की पढ़ाई के लिए एक छोटे से किराए के कमरे में अकेली रहती हूँ। कई दिनों तक बुखार ने मुझे तोड़ दिया था, और फिर जो हुआ, वो मेरे लिए एक ऐसा अनुभव बन गया, जिसे मैं न भूलना चाहती हूँ, न बता सकती हूँ। डॉक्टर की वो गंदी नज़र

पिछले सात दिनों से मुझे बुखार था। रात को ठंड लगती थी, सुबह पसीना छूटता था, और जिस्म में इतनी कमज़ोरी थी कि बेड से उठना मुश्किल हो रहा था। मैंने सोचा कि अब डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा। उस दिन दोपहर के 1 बजे थे। बाहर हल्की धूप थी, और हवा में नमी थी। मैंने हरे रंग की कुर्ती पहनी थी, जिसके नीचे क्रीम रंग की चूड़ीदार थी। अंदर काले रंग की ब्रा और नीली पैंटी थी। मेरे बाल बंधे हुए थे, पर चेहरा थकान से मुरझाया हुआ था। मैंने एक स्कूटी किराए पर ली और पास के एक क्लिनिक पहुँची, जहाँ डॉ. संजीव का नाम सुना था। वो मोटा-ताजा, 40 के आसपास का, दाढ़ी वाला शख्स था, जो हमेशा नीली शर्ट और सफेद कोट में रहता था।

क्लिनिक में सन्नाटा था। कोई मरीज़ नहीं था, और बाहर एक लड़का रिसेप्शन पर बैठा था। मैंने कहा, “डॉक्टर से मिलना है।” उसने मुझे अंदर भेज दिया। कमरा बड़ा था, एक कुर्सी, एक डेस्क, और एक पर्दे से ढका हुआ पलंग था। दीवार पर एक पुराना पंखा चल रहा था। मैं अंदर गई और बोली, “डॉक्टर साहब, मुझे कई दिनों से बुखार है, कुछ कीजिए।” वो कुर्सी से उठा और बोला, “आओ, बैठो, देखता हूँ।” मैं पलंग के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई। उसने मेरी कलाई पकड़कर नब्ज़ देखी। उसकी उंगलियाँ मेरे हाथ पर रेंग रही थीं, और उसकी नज़रें मेरे चेहरे से नीचे की ओर जा रही थीं। मुझे अजीब लगा।

उसने कहा, “पलंग पर लेट जाओ, चेकअप करना होगा।” मैं डरते-डरते पलंग पर लेट गई। मेरी हरी कुर्ती थोड़ी ऊपर उठ गई, और मेरा पेट दिखने लगा। उसने अपने हाथ मेरे माथे पर रखे और बोला, “हाँ, गर्मी है।” फिर उसने मेरी कुर्ती को और ऊपर उठाया। उसकी उंगलियाँ मेरे पेट पर फिसल रही थीं, और वो मेरी नाभि के आसपास दबाने लगा। मैंने कहा, “ये क्या कर रहे हैं?” वो बोला, “पेट में कोई तकलीफ़ तो नहीं, देख रहा हूँ।” उसका हाथ नीचे की ओर बढ़ा, और उसने मेरी चूड़ीदार के ऊपर से मेरी जाँघों को छूना शुरू कर दिया। उसकी उंगलियाँ मेरी जाँघों के बीच तक गईं, और वो उन्हें हल्के-हल्के दबा रहा था। मैं घबरा गई, “डॉक्टर साहब, ये ग़लत है!” पर वो हँसा और बोला, “अरे, चिंता मत कर, सब ठीक कर दूँगा।”

उसने मुझे उठाया और पर्दे के पीछे ले गया, जहाँ एक छोटा सा बिस्तर था। वो बोला, “यहाँ इंजेक्शन लगेगा, पैंट नीचे करो।” मैं शरमा गई, “नहीं, मैं नहीं करूँगी।” पर उसने मेरे कंधे पकड़ लिए और मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया। मैं गिर पड़ी। उसने मेरी चूड़ीदार का नाड़ा खींचकर खोल दिया और उसे नीचे सरका दिया। मेरी नीली पैंटी उसके सामने थी। मैं चीख़ी, “नहीं, छोड़ दो!” पर उसने मेरे मुँह पर अपना बड़ा सा हाथ रख दिया और बोला, “चुप रह, बाहर कोई सुन लेगा।” मैं छटपटा रही थी, पर बुखार की कमज़ोरी ने मुझे बेबस कर दिया था।

उसने मेरी पैंटी को एक झटके में नीचे खींच दिया। मैं नंगी थी, और मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोली। उसका लंड मेरे सामने था – मोटा, गहरा, और सख्त। उसने मेरे पैरों को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हें चौड़ा कर दिया। मैं रो रही थी, “नहीं, मत करो!” पर उसने मेरे चूतड़ों को दबाया और अपना लंड मेरी चूत के पास लाया। उसने उसे मेरे ऊपर रगड़ा, और मैं सिहर उठी। फिर उसने धीरे से दबाव डाला। उसका मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया। एक तेज़ दर्द हुआ, जैसे कोई मेरे अंदर कुछ बहुत सख्त डाल रहा हो। मैं चीख़ी, “आह… निकालो, बहुत दर्द हो रहा है!” पर उसने मेरे कूल्हों को पकड़ लिया और बोला, “अभी सब ठीक हो जाएगा।”

वो धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी चूत को चौड़ा कर रहा था। हर धक्के के साथ दर्द बढ़ रहा था, और मेरी साँसें रुक रही थीं। मैं कराह रही थी, “उफ़… छोड़ दो!” पर वो रुका नहीं। उसकी स्पीड बढ़ गई, और वो मेरे अंदर गहराई तक जा रहा था। मेरी चूत में जलन होने लगी, और मेरा जिस्म पसीने से तर हो गया। वो मेरे ऊपर झुका, और उसकी गर्म साँसें मेरे गले पर पड़ रही थीं। उसने मेरी कुर्ती को ऊपर उठाया और मेरी ब्रा को ज़ोर से खींचकर फाड़ दिया। मेरे उभार उसके सामने थे। उसने मेरे निपल्स को अपने होंठों से दबाया और चूसने लगा। दर्द के साथ एक अजीब सी सनसनी थी। मैं चीख़ रही थी, “आह… मत करो!”

उसने मुझे बिस्तर पर उल्टा कर दिया। मेरी पीठ उसके सामने थी। उसने मेरे कूल्हों को अपने हाथों से पकड़ा और मेरी गांड को सहलाया। मैं डर गई, “नहीं, वहाँ नहीं!” पर उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड मेरे पीछे लाया। उसने धीरे से रगड़ा, फिर अचानक ज़ोर से धक्का मारा। उसका मोटा लंड मेरी गांड में घुस गया। दर्द इतना तेज़ था कि मेरी चीख निकल गई, “आह… मर गई!” वो बोला, “तेरी गांड बहुत टाइट है।” वो मेरी गांड मारने लगा। उसका हर धक्का मेरे जिस्म को हिला रहा था। मेरी गांड में जलन थी, और मेरा जिस्म थरथरा रहा था। वो मेरी कमर को पकड़कर मुझे खींच रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरे कूल्हों पर गड़ रही थीं। मैं चीख़ रही थी, “उफ़… बहुत दर्द हो रहा है!” पर वो रुका नहीं।

उसने मुझे फिर से सीधा किया। मेरे पैरों को अपने कंधों पर रखा और मेरी चूत में फिर से घुस गया। उसकी स्पीड इतनी तेज़ थी कि बिस्तर हिल रहा था। मैं चीख़ रही थी, “आह… बस करो!” उसने मेरे उभारों को अपने हाथों से मसला, और उसकी उंगलियाँ मेरे निपल्स को नोंच रही थीं। उसका लंड मेरी चूत को हिला रहा था। वो मेरे चूतड़ों को थप्पड़ मार रहा था, और हर थप्पड़ के साथ दर्द बढ़ रहा था। मैं कराह रही थी, “उफ़… बहुत हो गया!” उसने मेरी गांड में फिर से अपना लंड डाला। उसकी स्पीड इतनी तेज़ थी कि मेरा जिस्म थक गया था। मैं चीख़ रही थी, “आह… छोड़ दो!”

उसने मुझे बिस्तर से उठाया और दीवार से सटा दिया। मेरे एक पैर को ऊपर उठाया और मेरी चूत में घुस गया। उसका लंड मेरे अंदर तक जा रहा था। मैं दीवार पर हाथ रखकर चीख़ रही थी, “आह… धीरे!” पर वो रुका नहीं। उसने मेरे गले को चूमा, और उसकी जीभ मेरे कानों तक फिसल गई। मेरी साँसें रुक रही थीं, और मेरा जिस्म पसीने से चिपचिपा हो गया था। फिर उसने मुझे घुमाया और मेरी गांड में फिर से घुस गया। उसका हर धक्का मेरे जिस्म को हिला रहा था। मेरी गांड में जलन थी, और मेरा जिस्म दर्द से भर गया था। उसने मेरे अंदर अपना पानी छोड़ दिया, और मैं हाँफ रही थी।

चुदाई खत्म हुई। मेरा जिस्म लाल था, और मेरी साँसें तेज़ थीं। उसने कपड़े पहने और बोला, “अब बुखार ठीक हो जाएगा।” वो चला गया। मैं नंगी बिस्तर पर पड़ी रही, मेरा जिस्म दर्द से भरा था। मैंने किसी को कुछ नहीं बताया, पर वो दर्द मेरे अंदर बस गया।

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