“kuttiya ki chudai dekh kar meri chut ki aag”

kuttiya ki chudai dekh kar meri chut ki aag

kuttiya ki chudai dekh kar meri chut ki aag
हाय दोस्तों, मेरा नाम काजल है। मैं 18 साल की हूँ और 12वीं में पढ़ती हूँ। मैं अपने गाँव से शहर में पढ़ाई के लिए आई हूँ और एक छोटे से किराए के कमरे में अकेली रहती हूँ। कमरा साधारण है – एक पलंग, एक पुरानी लकड़ी की अलमारी, एक टेबल, और एक छोटा बाथरूम। किराया 5000 रुपये महीना है, जो मम्मी-पापा भेजते हैं। दिनभर कॉलेज और फिर कमरे में अकेलापन, बस यही मेरी ज़िंदगी थी। पर एक दिन, ऐसा कुछ हुआ कि मेरी प्यास जाग गई, और जो हुआ, वो मेरे जिस्म में आज भी गूँज रहा है। बाज़ार से बेड तक

उस दिन शाम के 6 बजे थे। आसमान में हल्के बादल थे, और हवा में ठंडक थी। मैं बाज़ार गई थी सब्ज़ी लेने। उस दिन मैंने हल्के नीले रंग की सलवार-कमीज़ पहनी थी, नीचे सफेद कॉटन की पैंटी और ब्रा। हाथ में एक थैला था, जिसमें आलू, टमाटर, और प्याज़ भरे थे। मैं पैदल ही लौट रही थी, रास्ते में गलियाँ संकरी थीं। तभी एक गली के कोने पर मैंने कुछ देखा – एक कुतिया और एक कुत्ता। कुतिया नीचे थी, और कुत्ता उसके ऊपर चढ़ा हुआ था। वो ज़ोर-ज़ोर से उसे चोद रहा था, और कुतिया की हल्की-हल्की आवाज़ें आ रही थीं। मैं ठिठक गई। पहले तो मुझे अजीब लगा, पर फिर मेरी नज़रें हटी नहीं। उस कुत्ते की हरकत, वो ताकत, वो प्यास – मेरे अंदर कुछ हलचल होने लगी। मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा, और मेरे जिस्म में एक गर्मी सी फैल गई। मैंने सोचा, “मेरी भी तो प्यास है, मेरी चूत भी तो बेचैन है।” वो दृश्य मेरे दिमाग़ में अटक गया।

मैं तेज़ कदमों से कमरे पर पहुँची। थैला टेबल पर रखा, और जल्दी से दरवाज़ा बंद करना चाहा, पर हड़बड़ी में बस उसे हल्का सा चिपकाया और बेड पर जा बैठी। मैंने दीवार से पीठ टिका ली। मेरी नीली सलवार थोड़ी सी ऊपर खिसक गई थी, और मेरे पैर बेड पर फैले थे। मैंने फोन निकाला और व्हाट्सएप खोला। कुछ पुराने ग्रुप्स में सर्च किया, और एक पॉर्न वीडियो मिला, जो किसी ने शेयर किया था। मैंने उसे चालू किया। स्क्रीन पर एक लड़की थी, जिसे दो लड़के चोद रहे थे। एक उसकी चूत में था, दूसरा उसके मुँह में। उनकी हरकतें, वो धक्के, वो चीखें – मेरी प्यास और भड़क उठी। मेरा हाथ अपने आप सलवार के ऊपर गया, और मैंने अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

मैंने सलवार का नाड़ा ढीला किया और अपना दायाँ हाथ पैंटी के अंदर डाल दिया। मेरी सफेद पैंटी पहले से ही थोड़ी गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी चूत को उंगलियों से छुआ – वो गर्म थी, और नरम। मैंने अपनी पहली उंगली अंदर डाली। पहले तो थोड़ा अटका, पर फिर वो अंदर चली गई। मैंने उसे धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया। एक हल्का सा दर्द हुआ, पर मज़ा भी था। मेरी साँसें तेज़ हो गईं, और मैंने स्पीड बढ़ा दी। मेरे मुँह से हल्की-हल्की चीखें निकल रही थीं, “आह… ऊह…”। मैं दूसरी उंगली भी डाल दी, और अब दर्द के साथ एक गहरा मज़ा मिल रहा था। मेरा बायाँ हाथ फोन पकड़े था, और आँखें वीडियो पर थीं। वो लड़की चीख रही थी, और मैं भी अपनी चूत को ज़ोर-ज़ोर से चोद रही थी। मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी, और मेरा जिस्म पसीने से तर था। मैं बेचैन थी, मेरी चूत की प्यास मुझे पागल कर रही थी।

तभी अचानक दरवाज़ा खुला। मेरा पड़ोसी, अंकित, अंदर आ गया। वो 25-26 साल का था, लंबा, गठीला, और उस दिन उसने काली टी-शर्ट और नीली जींस पहनी थी। उसने मेरा नाम पुकारा, “काजल, ये सामान तेरे लिए…” और फिर उसकी नज़र मुझ पर पड़ी। मैं बेड पर थी, सलवार नीचे खिसकी हुई, दायाँ हाथ पैंटी में, और बायाँ हाथ में फोन। वीडियो की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। वो मुझे देखकर ठिठक गया। मैं शरम से मर गई। मन में अफ़सोस हुआ – “हाय, दरवाज़ा ठीक से बंद क्यों नहीं किया?” मैं अपना हाथ निकालना चाहती थी, पर नहीं निकाल सकी। मेरी उंगलियाँ मेरी चूत में थीं, और मज़ा इतना था कि मैं रुक नहीं पाई। वो मुझे देख रहा था, और उसकी आँखों में एक चमक थी। वो समझ गया कि मैं क्या कर रही हूँ।

मैंने हड़बड़ाहट में कहा, “जल्दी अंदर आ, गेट लगा दे!” वो हँसा, गेट बंद किया, और मेरे पास आया। मैंने फोन बेड पर फेंक दिया और बोली, “देख क्या रहे हो, चुदाई चाहिए मुझे।” वो चौंका, फिर बोला, “अरे, तू तो तैयार है।” उसने अपनी टी-शर्ट उतारी, और मैंने अपनी सलवार-कमीज़ खींचकर फेंक दी। मैं सिर्फ़ पैंटी और ब्रा में थी। उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरी ब्रा खींचकर उतार दी। मेरे छोटे-छोटे उभार उसके सामने थे। उसने मेरे निपल्स को अपने मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा। दर्द हुआ, और मैं कराह उठी, “आह… धीरे कर!” पर वो रुका नहीं। उसकी जीभ मेरे निपल्स पर घूम रही थी, और वो उन्हें काट रहा था। मेरे जिस्म में आग लग रही थी।

उसने मेरी पैंटी नीचे खींच दी। मैं नंगी थी, और वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपनी जींस उतारी, और उसका लंड मेरे सामने था – मोटा, लंबा, और सख्त। उसने मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैं सिहर उठी। उसने ज़ोर से धक्का मारा, और वो मेरे अंदर घुस गया। एक तेज़ दर्द हुआ, जैसे कोई मेरे अंदर फाड़ रहा हो। मैं चीख़ी, “आह… निकाल, दर्द हो रहा है!” पर उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और बोला, “चुप रह, अभी मज़ा आएगा।” वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। उसका हर धक्का मेरी चूत को हिला रहा था। दर्द इतना था कि मेरी आँखों में आँसू आ गए, पर उसकी स्पीड बढ़ती जा रही थी। मेरी साँसें रुक रही थीं, और मेरे मुँह से चीखें निकल रही थीं, “उफ़… आह… धीरे!”

पहले आधे घंटे वो मुझे सीधा चोदता रहा। मेरा जिस्म पसीने से तर था, और मेरी चूत में जलन हो रही थी। फिर उसने मुझे पलट दिया। मैं घोड़ी बन गई। उसने मेरी कमर पकड़ी और मेरी गांड में अपनी उंगलियाँ डाल दीं। दर्द के साथ एक अजीब सा गुदगुदापन था। उसने अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा और ज़ोर से घुसा दिया। मैं चीख़ी, “नहीं… बहुत दर्द हो रहा है!” पर वो हँसा और बोला, “रुक जा, अभी सब ठीक हो जाएगा।” वो मेरी गांड मारने लगा। उसका हर धक्का मेरे जिस्म को हिला रहा था। मेरी गांड में जलन थी, और मेरा जिस्म काँप रहा था। वो मेरे बाल पकड़कर मुझे खींच रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर खुरच रही थीं।

एक घंटे तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा। कभी मेरी चूत में, कभी मेरी गांड में। मैं थक चुकी थी, पर मेरी प्यास अभी बुझी नहीं थी। उसने मुझे बेड के किनारे पर बिठाया और मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। उसका लंड गर्म था, और मेरे गले तक जा रहा था। मैं खाँस रही थी, पर वो मेरे मुँह में धक्के मार रहा था। उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और बोला, “चूस ज़ोर से!” मैंने चूसना शुरू किया, और उसका पानी मेरे मुँह में छूट गया। मैं घुटन से तड़प रही थी, पर उसकी हवस रुकी नहीं।

दूसरे घंटे में उसने मुझे अपनी गोद में उठाया। मेरे पैर उसके कंधों पर थे, और उसने मुझे हवा में चोदना शुरू किया। उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था, और हर धक्के के साथ दर्द बढ़ रहा था। मैं चीख़ रही थी, “आह… उफ़… छोड़ दो!” पर वो बोला, “अभी तो शुरूआत है।” मेरे जिस्म का हर हिस्सा दर्द से भरा था, पर उसकी हरकतें मुझे पागल कर रही थीं। उसने मुझे दीवार से सटाया और मेरे पैर ऊपर उठाकर चोदना शुरू किया। मेरी पीठ दीवार से रगड़ रही थी, और उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था। मेरी साँसें रुक रही थीं, और मेरे मुँह से कराहें निकल रही थीं।

तीसरे घंटे में उसने मुझे बेड पर उल्टा लिटाया। मेरे हाथ बेड के किनारे पकड़े थे, और वो मेरे पीछे था। उसने मेरी गांड में फिर से अपना लंड डाला। दर्द इतना था कि मैं बेड पर नाखून गड़ा रही थी। वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे कानों को चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे गले पर फिसल रही थी, और वो मेरे सीने को ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। मैं चीख़ रही थी, “आह… नहीं… बहुत हो गया!” पर वो रुका नहीं। उसने मेरी गांड में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे, और मेरा जिस्म थरथरा रहा था।

चौथे घंटे में उसने मुझे कई पोज़िशन में चोदा। पहले मुझे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के मारे। मेरे पैर हवा में थे, और उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था। दर्द के साथ एक गहरा मज़ा भी था। फिर उसने मुझे बेड पर घुटनों के बल बिठाया और मेरे पीछे से मेरी चूत में घुस गया। उसकी स्पीड इतनी तेज़ थी कि मेरा जिस्म हिल रहा था। उसने मेरे बाल खींचे और मेरे गले को चूसा। मेरी चूत में जलन थी, और मेरा जिस्म पसीने से चिपचिपा हो गया था। उसने मेरे मुँह में फिर से अपना लंड डाला, और मैं उसे चूस रही थी। उसका पानी मेरे मुँह में छूट गया, और मैं थककर चूर हो गई थी।

पाँचवें घंटे में उसने मुझे बेड के किनारे पर लिटाया। मेरे पैर ज़मीन पर थे, और वो मेरे ऊपर था। उसने मेरी चूत में अपना लंड डाला और ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू किया। दर्द इतना था कि मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थीं, “आह… उफ़… बस कर!” पर वो बोला, “तेरी प्यास अभी बुझी नहीं।” वो मेरे सीने को मसल रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरे निपल्स को नोंच रही थीं। फिर उसने मुझे पलट दिया और मेरी गांड में फिर से घुस गया। उसका हर धक्का मेरे जिस्म को हिला रहा था। मेरी गांड में जलन थी, और मेरा जिस्म दर्द से भर गया था। उसने मेरे ऊपर अपना पानी छोड़ दिया, और मैं हाँफ रही थी।

पाँच घंटे की चुदाई के बाद मैं बेड पर पड़ी थी। मेरा जिस्म लाल था, और मेरी साँसें तेज़ थीं। उसने कपड़े पहने और बोला, “मज़ा आया?” मैं चुप रही, क्योंकि मेरा दर्द और मेरी प्यास एक हो गए थे। वो चला गया, और मैं नंगी बेड पर पड़ी रही। मेरी चूत और गांड में जलन थी, पर वो प्यास जो बाज़ार से शुरू हुई थी, अब बुझ चुकी थी।

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