“Mera bhai mera dard meri hawas”

Mera bhai mera dard meri hawas bhari chut

Mera bhai mera dard, meri hawas
हाय दोस्तों, मैं हूँ पूजा। उम्र 18 साल, और ये कहानी मेरे और मेरे भाई रवि की है। रवि मुझसे 1 साल बड़ा है, 19 का। हम एक छोटे से गाँव में रहते हैं, जहाँ दिनभर मम्मी-पापा खेतों में काम करते हैं, और हम दोनों घर पर अकेले रहते हैं। बचपन से हमारी खूब पटती थी, पर एक दिन जो हुआ, वो मेरे लिए दर्द, प्यार, शर्मिंदगी और हवस का ऐसा तूफ़ान लाया कि आज तक मैं उसमें डूबी हूँ। ये मेरे दिल और जिस्म की सच्चाई है, जो मैं आज तुमसे कह रही हूँ। मेरा भाई मेरा दर्द

बात उस गर्मी की दोपहर की है। आसमान में बादल थे, और हवा में नमी थी। मम्मी-पापा सुबह खेत गए थे, और हम दोनों घर में थे। मैं आँगन में बैठी चने भून रही थी। रवि बाहर से आया, उसकी कमीज़ पसीने से भीगी थी। वो मेरे पास बैठ गया और बोला, “पूजा, बहुत गर्मी है, कुछ मज़ेदार करते हैं।” मैंने हँसकर कहा, “क्या भइया, तू बता ना।” उसने मेरी ओर देखा, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। बोला, “चल, अंदर कमरे में कुछ खेलते हैं।” मुझे लगा शायद वो कोई मज़ाक कर रहा है, तो मैं उसके साथ चली गई।

कमरे में पुराना पलंग था, और एक टूटी खाट पड़ी थी। उसने दरवाज़ा बंद किया, और मैंने पूछा, “भइया, दरवाज़ा क्यों बंद किया?” वो हँसा, “कोई आएगा तो मज़ा खराब हो जाएगा।” फिर वो मेरे करीब आया और बोला, “तू मेरी छोटी बहन है, पर कितनी सुंदर है।” उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया। मैं शरमा गई, और बोली, “भइया, छोड़ ना, ये क्या कर रहा है?” पर उसने मुझे गले लगा लिया। उसकी साँसें मेरे चेहरे पर लगीं, और उसका पसीना मेरी फ्रॉक पर रगड़ गया। मुझे अजीब लगा, पर उसकी बाँहों में एक गर्मी थी जो मुझे खींच रही थी।

उसने मेरे गाल पर चुम्मी दी। मैं पीछे हटी, और बोली, “ये ग़लत है, भइया।” पर उसकी नज़रें मेरे जिस्म पर थीं। उसने कहा, “ग़लत-सही कुछ नहीं, बस मज़ा है।” फिर उसने मुझे पलंग पर धक्का दे दिया। मैं गिर पड़ी, और मेरी फ्रॉक ऊपर उठ गई। उसने मेरी जाँघों को देखा, और उसकी आँखों में भूख जाग गई। उसने मेरी पैंटी पर हाथ रखा और उसे नीचे खींच दिया। मैं चीख़ी, “भइया, मत कर!” पर उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और बोला, “चुप रह, पूजा, ये हमारा खेल है।”

उसने मेरी जाँघों को अपने हाथों से फैलाया और वहाँ चूमना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरी जाँघों पर फिसली, और वो उन्हें चाटने लगा। मैं शरम से मर रही थी, पर मेरा जिस्म सिहर उठा। उसकी उंगलियाँ मेरे प्राइवेट पार्ट पर गईं, और वो उसे रगड़ने लगा। मुझे दर्द हुआ, और मैं कराह उठी। उसने मेरी फ्रॉक फाड़ दी, और मेरा ऊपरी हिस्सा नंगा हो गया। वो मेरे सीने पर झुक गया, और मेरे छोटे-छोटे उभारों को अपने मुँह में ले लिया। वो उन्हें चूस रहा था, और उसकी जीभ मेरे निपल्स पर घूम रही थी। दर्द के साथ एक अजीब सी प्यास जाग रही थी। मैं रो रही थी, पर मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं।

उसने मेरे पेट को चूमा, और उसकी जीभ मेरी नाभि में घुसी। फिर वो नीचे गया। उसने मेरे प्राइवेट पार्ट को अपने मुँह से छुआ, और उसे चाटना शुरू कर दिया। उसकी जीभ मेरे अंदर तक जा रही थी, और वो उसे चूस रहा था। मैं शर्मिंदगी से काँप रही थी, पर मेरे अंदर एक आग जल रही थी। उसने अपनी दो उंगलियाँ मेरे अंदर डाल दीं, और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा। मैं चीख़ी, “भइया, दर्द हो रहा है!” पर उसने मेरे बाल पकड़ लिए और बोला, “चुप रह, अभी तो शुरूआत है।”

फिर उसने अपनी पैंट उतारी। उसका प्राइवेट पार्ट मेरे सामने था, सख्त और गर्म। उसने मेरे मुँह की ओर बढ़ाया, और मेरे होंठों पर रगड़ा। मैं डर गई, और बोली, “नहीं, भइया, ये मत करो।” पर उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और उसे मेरे मुँह में घुसा दिया। मेरा गला भर गया, और मैं खाँसने लगी। वो मेरे मुँह में बार-बार घुस रहा था, और उसका पानी मेरे गले में गया। मैं घुटन से तड़प रही थी, पर उसकी हवस बढ़ती जा रही थी। उसने मेरे मुँह से निकाला, और मेरे चेहरे पर थप्पड़ मारा, “अच्छे से चूस, पूजा।” मैं रो रही थी, पर उसकी बात मान ली।

उसने मुझे पलंग पर पटक दिया। मेरे पैर फैलाए, और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपने प्राइवेट पार्ट को मेरे प्राइवेट पार्ट पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा। एक तेज़ दर्द हुआ, जैसे कोई मेरे अंदर चीर रहा हो। खून बहने लगा, और मैं चीख़ी, “भइया, मर जाऊँगी, छोड़ दो!” उसने मेरे गाल पर फिर थप्पड़ मारा और बोला, “रो मत, मज़ा ले।” वो मेरे अंदर बार-बार घुस रहा था, और मेरा जिस्म दर्द से टूट रहा था। मैं छटपटा रही थी, पर उसकी पकड़ मज़बूत थी। उसने मेरे सीने को ज़ोर से मसला, और मेरे निपल्स को नोंच डाला। खून और दर्द मेरे जिस्म में फैल गया।

फिर उसने मुझे पलट दिया। मेरे पीछे से उसने मेरे अंदर घुसना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ मेरे गले को दबा रही थीं, और वो मेरी पीठ को चाट रहा था। उसने मेरे कानों में दाँत गड़ाए, और मैं दर्द से कराह उठी। वो मेरे जिस्म को हर तरह से भोग रहा था। उसकी हवस मेरे ऊपर सवार थी। उसने मेरे प्राइवेट पार्ट में अपना पानी छोड़ दिया, और मेरा जिस्म उससे भर गया। मैं थक चुकी थी, पर वो रुका नहीं। उसने मुझे फिर से मुँह में लिया, और इस बार उसका पानी मेरे चेहरे पर गिरा। मैं बेशर्मी से सनी हुई थी।

करीब एक घंटे तक वो मेरे साथ ये सब करता रहा। मेरा खून, उसका पानी, और मेरी कराहें कमरे में गूँज रही थीं। फिर उसने मुझे उठाकर खाट पर डाला। मेरे पैर अपने कंधों पर रखे, और फिर से मेरे अंदर घुस गया। इस बार दर्द के साथ एक अजीब सा मज़ा भी था। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था, और मेरा जिस्म उसकी ताल में हिल रहा था। मैं चीख़ रही थी, पर मेरी आवाज़ में अब एक प्यास भी थी। उसने मेरे गले को चूसा, और मेरे सीने को अपने दाँतों से काटा। दर्द और मज़ा एक हो गए थे।

दूसरे घंटे में उसकी हवस और बढ़ गई। उसने मुझे कई बार पलटा – कभी पीछे से, कभी मेरे ऊपर, कभी मेरे मुँह में। उसका पानी मेरे प्राइवेट पार्ट में बार-बार छूट रहा था, और मेरा जिस्म उससे लथपथ था। मैं थक चुकी थी, पर मेरी भूख भी जाग गई थी। मैं अब उसकी हर हरकत का जवाब दे रही थी। वो मेरे जिस्म को नोंच रहा था, और मैं उसकी हवस में बह रही थी। आखिरी बार उसने मुझे इतना ज़ोर से मारा कि मेरा खून फिर से बहने लगा। उसका पानी मेरे अंदर, मेरे मुँह में, और मेरे चेहरे पर छूट गया। मैं टूट चुकी थी, पर मेरा जिस्म उस मज़े में डूब गया था।

जब वो थक गया, तो मेरे पास लेट गया। उसने मेरे गाल पर हाथ फेरा और बोला, “पूजा, तू मेरी बहन नहीं, मेरी हवस है।” मैं चुप रही, क्योंकि मेरा दर्द, मेरी शर्मिंदगी, और मेरी प्यास सब एक हो गए थे। वो उठा, कपड़े पहने, और बाहर चला गया। मैं नंगी, खून और पानी से सनी, खाट पर पड़ी रही। मेरा जिस्म दर्द से भरा था, पर उसमें एक बेशर्म मज़ा भी था। मम्मी-पापा आए, तो मैंने सब ठीक किया और चुपचाप नहा ली। पर रवि अब मेरा भाई नहीं, मेरी हवस का हिस्सा बन गया। हर रात मैं उस दर्द और मज़े को याद करती हूँ, और मेरी प्यास फिर जाग उठती है।

 

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