Mere bete ne meri chud choda

Mere bete ne meri chud choda

Mere bete ne meri chud choda
हाय दोस्तों, मेरा नाम शीतल है। मैं 35 साल की हूँ। मेरी ज़िंदगी में कई रंग हैं, पर पिछले कुछ सालों से ये रंग फीके पड़ गए थे। मैं एक साधारण औरत हूँ, मेरी कमर पतली है, और मेरा जिस्म ऐसा कि लोग मुझे देखकर कहते हैं कि अभी भी जवान लगती हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, और मैं हमेशा टाइट कपड़े पहनती हूँ, जो मेरी चूत और गांड को हल्का सा उभारते हैं। मेरे पति की मृत्यु 4 साल पहले हो गई थी। उनके जाने के बाद मैं अपने दो बच्चों के साथ अकेली रह गई – मेरी 16 साल की बेटी सोनम और 19 साल का बेटा रजत। हम एक छोटे से शहर में रहते हैं, जहाँ हमारा घर दो मंज़िल का है। नीचे की मंज़िल में किरायेदार रहते हैं, और ऊपर हमारा हिस्सा है। पति की पेंशन और किराए से घर चलता है।
मेरे बेटे ने मेरी चूत को चोदा

उस दिन सुबह के 8 बजे थे। आसमान साफ़ था, और हल्की धूप खिली हुई थी। मैं नीले रंग का सूट पहने किचन में खड़ी थी, बच्चों के लिए नाश्ता बना रही थी। सोनम स्कूल के लिए तैयार हो रही थी, और रजत अपने कमरे में था। मैंने उसे आवाज़ लगाई, “रजत, जल्दी नीचे आ, नाश्ता तैयार है।” वो नीचे आया, उसने काली टी-शर्ट और ग्रे ट्रैक पैंट पहनी थी। वो लंबा और पतला है, और उसकी आँखों में हमेशा एक चमक रहती है। मैंने उसे देखा और मुस्कुराई, “कॉलेज नहीं जाना आज?” वो बोला, “मम्मी, आज छुट्टी है, प्रोफेसर की तबीयत खराब है।” मैंने कहा, “ठीक है, फिर आज घर पर ही रह।”

सोनम नाश्ता करके स्कूल चली गई। मैं और रजत अकेले रह गए। मैंने बर्तन धोए और फिर सोफे पर बैठ गई। मन उदास था। पति के जाने के बाद मैंने कभी किसी मर्द का साथ नहीं लिया। मेरी चूत की प्यास मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी, लेकिन मैं इसे किसी से कह नहीं सकती थी। रजत मेरे पास आकर बैठ गया और बोला, “मम्मी, आप आजकल बहुत चुप रहती हैं, क्या बात है?” मैंने उसकी ओर देखा, उसकी मासूम आँखें मुझे देख रही थीं। मैंने कहा, “कुछ नहीं बेटा, बस यूँ ही।” वो बोला, “आप उदास मत रहा करो, मैं हूँ न आपके साथ।” उसकी बात सुनकर मेरे मन में एक अजीब सी गर्मी उठी।

दोपहर हुई। मैं ऊपर अपने कमरे में गई और अलमारी से कपड़े निकालने लगी। रजत नीचे टीवी देख रहा था। मैंने सोचा कि आज कुछ नया पहनूँ। मैंने एक टाइट काले रंग की साड़ी चुनी और उसे पहन लिया। साड़ी मेरे जिस्म से चिपक रही थी, और मेरी कमर साफ़ दिख रही थी। मैंने आईने में खुद को देखा, मेरे होंठ सूख रहे थे, और मन में एक अजीब सी बेचैनी थी। नीचे से रजत की आवाज़ आई, “मम्मी, मैं छत पर जा रहा हूँ, कुछ देर धूप में बैठूँगा।” मैंने कहा, “ठीक है, मैं भी आती हूँ।” मैं छत पर गई। वो वहाँ कुर्सी पर बैठा था। मैं उसके पास गई और बोली, “कैसी लग रही हूँ मैं आज?” वो मेरी ओर देखकर बोला, “मम्मी, आप तो बहुत मस्त लग रही हैं।”

उसकी बात सुनकर मेरे जिस्म में सिहरन हुई। मैं उसके पास कुर्सी पर बैठ गई। हम बातें करने लगे। उसने कहा, “मम्मी, आपको कभी अकेलापन लगता है न?” मैंने कहा, “हाँ बेटा, कभी-कभी बहुत।” वो मेरे करीब आया और बोला, “मैं आपके साथ हूँ, आपको कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।” उसका हाथ मेरे कंधे पर था। मैंने उसकी ओर देखा, और मेरे मन में कुछ गलत सही होने लगा। मैंने कहा, “रजत, तुम मेरे लिए बहुत कुछ करते हो।” वो बोला, “मम्मी, मैं आपके लिए सब कुछ करूँगा।” उसकी आवाज़ में एक गर्मी थी।

शाम ढलने लगी। मैंने कहा, “चलो, अंदर चलते हैं, ठंड होने लगी है।” हम नीचे मेरे कमरे में आए। मैं बेड पर बैठ गई। रजत मेरे पास आया और बोला, “मम्मी, आप आज बहुत सुंदर लग रही हैं।” मैंने शरमाते हुए कहा, “अच्छा, अब चुप कर।” पर वो मेरे और करीब आया। उसने मेरे गाल को छुआ और बोला, “मम्मी, मैं आपको खुश करना चाहता हूँ।” मेरे जिस्म में आग लग गई। मैंने कहा, “रजत, ये क्या कह रहा है?” वो बोला, “मम्मी, मैं जानता हूँ, आपको भी मेरे पापा की कमी खलती है।”

मेरा मन डोल गया। मैंने कहा, “बेटा, ये गलत है।” पर वो मेरे होंठों के पास आया और बोला, “मम्मी, कुछ गलत नहीं, बस आपको मज़ा देना चाहता हूँ।” उसने मेरे होंठों को चूम लिया। मैं सिहर उठी। मेरी चूत गीली हो गई। मैंने उसे दूर करने की कोशिश की, लेकिन मेरे जिस्म ने मुझे धोखा दे दिया। मैंने कहा, “रजत, हमें ऐसा नहीं करना चाहिए।” पर वो बोला, “मम्मी, आपकी चूत को चोदना चाहता हूँ।” उसकी बात सुनकर मेरी साँसें तेज़ हो गईं।

उसने मेरी साड़ी का पल्लू खींच दिया। साड़ी खुल गई, और मैं सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। उसने मेरा ब्लाउज़ उतार दिया। अब मैं आधी नंगी थी। अंदर मैंने काले रंग की पैंटी और सफेद ब्रा पहनी थी। वो बोला, “मम्मी, आपकी चूचियाँ तो मस्त हैं।” उसने मेरी ब्रा खींचकर उतार दी। मेरे नंगे चूचे उसके सामने थे। उसने मेरे निपल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। मैं चिल्लाई, “रजत, चूसो, मज़ा आ रहा है!” उसकी जीभ मेरी चूचियों पर घूम रही थी। मैंने कहा, “बेटा, मेरे होंठ चूसो।” उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में लिया और चूसने लगा। मेरी साँसें उखड़ रही थीं।

फिर उसने मेरा पेटीकोट खींचकर उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी। उसने मेरी पैंटी को नीचे सरकाया। मेरी चूत नंगी थी, टाइट, गीली। वो बोला, “मम्मी, आपकी चूत तो कुंवारी लगती है।” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और चाटने लगा। मैं चिल्लाई, “रजत, चाटो, मेरी चूत को मज़ा दो!” उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थी। मैंने कहा, “बेटा, और चूसो!” मेरी चूत से पानी टपक रहा था। उसने मेरी कमर को पकड़ा और मेरी नाभि को चूमा। मैंने कहा, “रजत, मेरी गांड को भी चाटो।” उसने मुझे पलट दिया और मेरी गांड पर जीभ फिराई। मैं चिल्लाई, “हाँ, ऐसे ही, मज़ा आ रहा है!”

उसने अपनी टी-शर्ट और ट्रैक पैंट उतार दी। अब वो सिर्फ़ अंडरवेयर में था। उसने अंडरवेयर खींचकर फेंक दिया। उसका लंड मेरे सामने था – लंबा, पतला, सख्त। मैंने कहा, “रजत, तेरा लंड तो मस्त है!” उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखा। मैंने उसे सहलाया और कहा, “बेटा, इसे मेरे मुँह में डाल।” उसने अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ा। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। मैंने कहा, “रजत, चुदाई करो!” वो बोला, “मम्मी, आपकी चूत को चोदूँगा।” उसने मुझे बेड पर लिटाया। मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैंने कहा, “चोदो, मेरी चूत को पेल दो!” उसने धीरे से डाला। उसका लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं चिल्लाई, “हाँ, मज़ा आ रहा है!”

वो मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत को पेल रहा था। मैंने कहा, “रजत, और ज़ोर से चोदो!” उसकी स्पीड बढ़ गई। मेरी चूत गीली थी, और मैं मज़े ले रही थी। उसने मेरे चूचों को पकड़ा और चूसने लगा। मैंने कहा, “बेटा, मेरी गांड भी चोदो।” उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उसके सामने थी। उसने अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा और धीरे से डाला। मैंने कहा, “हाँ, गांड में मज़ा दो!” वो मेरी गांड चोदने लगा। मैं चिल्लाई, “रजत, और चोदो!” उसने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया। मैं नंगी बेड पर पड़ी थी, चूत और गांड मज़े से भरी। वो बोला, “मम्मी, मज़ा आया?” मैंने कहा, “हाँ बेटा, बहुत मज़ा आया!

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