Nase me bete aur dosto ne maa ki gand aur chut fad di

Nase me bete aur dosto ne maa ki gand aur chut fad di

Nase me bete aur dosto ne maa ki gand aur chut fad di
हाय दोस्तों, मेरा नाम शीतल है। मैं 36 साल की हूँ। मेरा जिस्म पतला और मस्त है, कमर 28 इंच की, फिगर 34-28-36। मेरा चेहरा ऐसा कि लोग देखते ही चोदने को तड़प उठें – गोरी चमड़ी, गुलाबी होंठ, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, और लंबे काले बाल जो मेरी गांड तक लटकते हैं। मेरे चूचे मस्त टाइट हैं, और गांड ऐसी कि कपड़े में भी जवान कन्या की तरह चिकनी और उभरी दिखे। मेरा पति एक ट्रक ड्राइवर है, जो महीनों बाहर रहता है। घर में मैं और मेरा 19 साल का बेटा, राकेश, रहते हैं। राकेश कॉलेज में पढ़ता है, लेकिन उसकी संगत कुछ हरामी दोस्तों से है। एक रात, इन हरामियों ने मेरी चूत और गांड की ऐसी चुदाई की कि मैं चीखती-तड़पती रो पड़ी।

उस दिन शाम के 6 बजे थे। आसमान में बादल थे, और हल्की बारिश शुरू हो रही थी। मैंने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो मेरे जिस्म से चिपककर मेरी पतली कमर और चूतड़ों को उभार रही थी। मैं किचन में थी, सब्ज़ी बना रही थी। तभी राकेश घर आया, अपने चार हरामी दोस्तों – विक्की, संजय, राहुल, और दीपक – के साथ। सबके चेहरों पर शराब की गंध थी। राकेश बोला, “मम्मी, आज मेरे दोस्त रुकेंगे, दारू पी रहे हैं, कुछ खाने को बनाओ।” मैंने कहा, “राकेश, ये सब ठीक नहीं, तुम लोग दारू मत पियो।” वो हँसा, “अरे मम्मी, बस थोड़ी सी मस्ती, तुम मुर्गा बनाओ न।” मैं गुस्से में थी, लेकिन बेटे की बात टाल नहीं सकी।

मैंने मुर्गा बनाना शुरू किया। वो सब हॉल में बैठ गए। दारू की बोतलें खुलीं, और गिलास भर-भरकर पीने लगे। उनकी गंदी बातें मेरे कानों तक आने लगीं। विक्की बोला, “साले राकेश, तेरी मम्मी की गांड तो मस्त है, चोदने में मज़ा आएगा।” संजय हँसा, “हाँ भाई, उसकी चूत को देख, साड़ी में भी फुद्दी की शेप दिख रही है।” राहुल बोला, “चूचियाँ तो चूसने लायक हैं, राकेश, आज रात इसे पेलते हैं।” राकेश चिल्लाया, “हरामी लोग, मम्मी को चोदने की बात कर रहे हो, पर सही कह रहे हो, मम्मी की बुर तो लंड माँग रही है।” मैं किचन में सुन रही थी, मेरा चेहरा शर्म और गुस्से से लाल हो गया।

रात के 9 बजे थे। मुर्गा तैयार हुआ। मैंने प्लेट में परोसकर हॉल में रखा। वो सब खाने लगे, और दारू के नशे में मुझे घूरने लगे। दीपक बोला, “भाभी, तुम भी पियो न, मज़ा आएगा।” मैंने कहा, “नहीं, मुझे नहीं पीनी।” राकेश बोला, “मम्मी, एक घूँट तो लो।” मैंने मना किया, तो उसने जबरदस्ती मेरे मुँह में गिलास ठूँस दिया। दारू मेरे गले से नीचे उतरी, और मेरा सिर चकराने लगा। वो सब हँस रहे थे। मैंने कहा, “राकेश, ये क्या कर रहा है?” वो बोला, “मम्मी, अब मस्ती शुरू होगी।”

रात 11 बजे मैं अपने कमरे में सोने गई। मैंने साड़ी उतारी और नीली नाइटी पहन ली। मैं बेड पर लेट गई। मेरा सिर दारू से भारी था। तभी कमरे का दरवाज़ा खुला। राकेश और उसके चारों दोस्त अंदर घुस आए। उनके चेहरों पर हवस थी, आँखें लाल। मैं उठी, “ये क्या कर रहे हो?” राकेश बोला, “मम्मी, तेरी चूत चोदने आए हैं।” मैं चीखी, “नहीं, ये गलत है, बाहर निकलो!” लेकिन विक्की ने मुझे बेड पर धक्का दे दिया। मैं चिल्लाई, “राकेश, मुझे छोड़ दो!” पर वो बोला, “साली, आज तेरी बुर और गांड फाड़ेंगे।”

संजय ने मेरी नाइटी फाड़ दी। मैं सिर्फ़ अंदर के कपड़ों में थी – काली पैंटी और लाल ब्रा। राहुल ने मेरी ब्रा खींचकर फाड़ दी। मेरी चूचियाँ नंगी हो गईं। मैं तड़प रही थी, “नहीं, मत करो!” दीपक बोला, “कुतिया, तेरे चूचे तो चूसने लायक हैं।” उसने मेरे निपल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। मैं चीखी, “छोड़ दो, हरामी!” लेकिन वो ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। राकेश मेरी पैंटी खींचकर फाड़ दी। मेरी चूत नंगी थी, टाइट, गीली। वो बोला, “मम्मी, तेरी बुर तो लंड माँग रही है।” मैं रो रही थी, “राकेश, मैं तेरी माँ हूँ, मत कर!”

विक्की ने मेरी टाँगें चौड़ी कीं। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और चाटने लगा। मैं चिल्लाई, “नहीं, छोड़ दो, हरामी!” लेकिन वो बोला, “साली, तेरी चूत तो रसीली है, चूसने में मज़ा आ रहा है!” मैं तड़प रही थी, चीख रही थी। संजय ने मेरे मुँह में अपना लंड ठूँस दिया – मोटा, बदबूदार। मैं घुट रही थी, “उफ़… निकालो!” पर वो बोला, “चूस रंडी, मज़ा ले!” मैं रो रही थी, लेकिन उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था। राकेश बोला, “मम्मी, अब तेरी चूत पेलता हूँ।” उसने अपनी पैंट उतारी। उसका लंड बाहर आया – 8 इंच का, काला, मोटा। मैं चीखी, “नहीं बेटा, मत कर!”

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बेड पर पटक दिया। मेरी टाँगें हवा में उठाईं और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैं चिल्लाई, “नहीं, राकेश, छोड़ दे!” पर उसने ज़ोर से डाला। उसका मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं चीखी, “आह… मर गई!” वो बोला, “साली, तेरी चूत तो टाइट है, चोदने में मज़ा आ रहा है!” वो ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा। मैं तड़प रही थी, “रोको, हरामी!” लेकिन वो रुका नहीं। विक्की मेरे चूचों को चूस रहा था, संजय मेरे मुँह में लंड ठूँस रहा था। राहुल मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, “कुतिया, तेरी गांड भी चोदेंगे!”

राकेश ने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड उसके सामने थी। उसने अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा। मैं चिल्लाई, “नहीं, गांड में मत डाल!” पर उसने ज़ोर से ठूँस दिया। मैं चीखी, “आह… फट गई!” वो बोला, “मम्मी, तेरी गांड चोदने में मज़ा आ रहा है, रंडी!” वो ज़ोर-ज़ोर से पेल रहा था। मैं रो रही थी, “बेटा, छोड़ दे!” लेकिन वो साला रुका नहीं। दीपक मेरे मुँह में लंड डालकर चूसने लगा। मैं घुट रही थी, आँसू बह रहे थे।

फिर विक्की बेड पर लेट गया। उसने मुझे अपनी गोद में खींचा। उसका लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैं चिल्लाई, “नहीं, हरामी!” वो बोला, “साली, चूत पेलने दे!” वो नीचे से धक्के मार रहा था। राकेश मेरे पीछे आया और मेरी गांड में लंड ठूँस दिया। मैं चीखी, “आह… मर गई, छोड़ दो!” दो लंड एक साथ मेरी चूत और गांड चोद रहे थे। मैं तड़प रही थी, “रोको, हरामी लोग!” लेकिन वो सब हँस रहे थे। संजय मेरे चूचों को मसल रहा था, राहुल मेरे होंठ चूस रहा था।

रातभर ये हरामी मुझे चोदते रहे। राकेश ने मेरी चूत में पानी छोड़ा, विक्की ने मेरी गांड में, संजय ने मेरे मुँह में। मैं रो रही थी, चीख रही थी, “बस करो!” लेकिन वो साले रुके नहीं। सुबह 4 बजे तक मेरी चूत और गांड पेलते रहे। मैं नंगी बेड पर पड़ी थी, चूत और गांड से पानी टपक रहा था। राकेश बोला, “मम्मी, तेरी चूत चोदने में मज़ा आया।” मैं रोते हुए बोली, “हरामी, तूने मुझे बर्बाद कर दिया!” वो हँसा और चला गया।

 

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