“Pati ke dost ke mote land se meri pyas”

Pati ke dost ke mote land se meri pyas

Pati ke dost ke mote land se meri pyas
हाय दोस्तों, मैं हूँ रेशमा। 25 साल की, गोरी, और मेरी फिगर 34-28-36 – ऐसा जिस्म कि मर्दों की नज़रें फिसल पड़ें। मेरी शादी को 2 साल हो गए हैं। मेरा पति संजय, 28 साल का, प्यारा इंसान है, लेकिन उसका लंड छोटा है, सिर्फ़ 4 इंच, और 10 मिनट में ही पानी छोड़ देता है। मेरी चूत की आग कभी ठंडी नहीं होती। रात को वो मेरे ऊपर चढ़ता है, दो-चार धक्के मारता है, और खत्म। मैं अधूरी रह जाती हूँ, मेरी प्यास मुझे तड़पाती है। पहले भी मैंने दो मर्दों से कोशिश की थी – एक पड़ोसी और एक संजय का कॉलेज दोस्त – लेकिन वो भी कमज़ोर निकले। उनकी चुदाई भी 15 मिनट में खत्म हो गई, और मेरी चूत की भूख वैसे ही रह गई। पर एक दिन, मेरी ये प्यास आखिरकार बुझी, और वो भी संजय के दोस्त के मोटे लंड से।

उस दिन सुबह के 10 बजे थे। आसमान में धूप चमक रही थी, और हल्की गर्म हवा चल रही थी। मैंने घर पर पीले रंग की सिल्क की साड़ी पहनी थी, जिसके नीचे काली साटन की ब्रा और काली पैंटी थी। मेरे बाल खुले थे, और मैं ड्रॉइंग रूम में सोफे पर बैठी मैगज़ीन पढ़ रही थी। संजय तैयार हो रहा था। उसने कहा, “रेशमा, आज ऑफिस में एक बड़ा प्रोजेक्ट है, मुझे पूरा दिन लगेगा। मेरा दोस्त आशीष आएगा, वो कुछ देर रुक सकता है। उसे खाना-वाना दे देना।” मैंने हामी भरी। संजय ऑफिस चला गया, और मैं सोचने लगी कि पूरा दिन अकेले कैसे कटेगा।

करीब 11 बजे डोरबेल बजी। मैंने दरवाज़ा खोला। सामने आशीष था – लंबा, मज़बूत, गेहुँआ रंग, ग्रे टी-शर्ट और नीली जींस में। वो मुस्कुराया और बोला, “हाय भाभी, संजय मिलने वाला था, पर वो तो ऑफिस चला गया।” मैंने उसे अंदर बुलाया और सोफे पर बिठाया। मैं उसके लिए पानी ले आई। जैसे ही मैंने गिलास रखा, मेरी नज़र उसकी जींस पर पड़ी। उसका उभार बहुत बड़ा था, ऐसा लग रहा था कि उसका लंड बहुत मोटा और लंबा है। मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई। मैंने चोरी-छिपे उसे देखा, और मेरे दिमाग़ में आग लग गई। “हाय राम, ये तो बहुत बड़ा है,” मैंने सोचा। मेरी चूत गीली होने लगी, और मैंने ठान लिया – मुझे इससे चुदवाना है, अपनी मुलायम, मक्खन जैसी गांड भी मरवानी है। संजय ऑफिस में पूरा दिन फँसा था, मतलब पूरा मौका था।

मैं उसके पास सोफे पर बैठ गई। मेरी साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे सरक गया, और मेरी गहरी नाभि दिखने लगी। मैंने शरमाते हुए कहा, “आशीष, आपकी जींस बहुत टाइट लग रही है, आराम से बैठिए ना।” वो हँसा और बोला, “हाँ, थोड़ा टाइट है।” मैंने हिम्मत की और बोला, “मुझे लगता है आपका लंड बहुत बड़ा है।” वो चौंका, फिर मुस्कुराया, “तुझे कैसे पता?” मैं शरमा गई, पर बोली, “दिख रहा है। मुझे… इससे चुदना है।” वो हक्का-बक्का रह गया, फिर बोला, “संजय का क्या?” मैंने कहा, “वो ऑफिस में है, रात तक नहीं आएगा। चलो बेडरूम में।”

मैं उसे बेडरूम में ले गई। मेरा बेड नीली चादर से ढका था, और खिड़की से हल्की धूप आ रही थी। मैंने अपनी साड़ी उतार दी। काली ब्रा और पैंटी में मैं उसके सामने थी। उसने मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया और मेरे होंठों को चूमना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसी, और वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था। मैं सिहर उठी। उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर फिसलीं, और उसने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरे गोरे, मोटे उभार उसके सामने थे। उसने मेरे निपल्स को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। दर्द हुआ, और मैं कराह उठी, “आह… धीरे कर!” पर वो रुका नहीं। उसकी जीभ मेरे निपल्स पर घूम रही थी, और वो उन्हें हल्के से काट रहा था। मेरे जिस्म में आग लग रही थी।

उसने मेरी पैंटी नीचे खींच दी। मैं नंगी थी, और मेरी मुलायम, मक्खन जैसी गांड उसके सामने थी। उसने अपनी जींस उतारी। उसका लंड मेरे सामने था – मोटा, लंबा, करीब 8 इंच, सख्त और गर्म। मैं उसे देखकर डर गई, पर मेरी प्यास और बढ़ गई। उसने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। मैं सिहर उठी। उसने धीरे से टच किया, फिर अचानक ज़ोर से धक्का मारा। उसका मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया। एक तेज़ दर्द हुआ, जैसे कोई मेरे अंदर कुछ बहुत बड़ा ठूँस रहा हो। मैं चीख़ी, “आह… निकाल, बहुत दर्द हो रहा है!” पर उसने मेरे कंधे पकड़ लिए और बोला, “रुक जा, अभी मज़ा आएगा।”

वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत को चौड़ा कर रहा था। हर धक्के के साथ दर्द बढ़ रहा था, और मेरी साँसें रुक रही थीं। मैं कराह रही थी, “उफ़… आह… धीरे कर!” पर वो रुका नहीं। उसकी स्पीड बढ़ गई, और वो मेरे अंदर गहराई तक जा रहा था। मेरी चूत में जलन होने लगी, और मेरा जिस्म पसीने से तर हो गया। वो मेरे ऊपर झुका, और उसकी साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। उसने मेरे गले को चूमना शुरू किया, और उसकी जीभ मेरे कानों तक फिसल गई। मैं सिहर रही थी। उसने मेरे निपल्स को अपने हाथों से मसला, और दर्द के साथ एक गहरा मज़ा भी था। मैं चीख़ रही थी, “आह… और कर… थोड़ा धीरे!”

उसने मुझे पलट दिया। मैं घोड़ी बन गई। मेरी मुलायम गांड उसके सामने थी। उसने मेरी गांड को अपने हाथों से फैलाया और उस पर अपना लंड रगड़ा। मैं डर गई, “नहीं, वहाँ नहीं, बहुत मोटा है!” पर उसने मेरी कमर पकड़ ली और धीरे से टच किया। फिर अचानक ज़ोर से धक्का मारा। उसका मोटा लंड मेरी गांड में घुस गया। दर्द इतना तेज़ था कि मेरी चीख निकल गई, “आह… मर गई… निकाल!” वो हँसा और बोला, “तेरी गांड इसे झेल लेगी।” वो मेरी गांड मारने लगा। उसका हर धक्का मेरे जिस्म को हिला रहा था। मेरी गांड में जलन थी, और मेरा जिस्म काँप रहा था। वो मेरे बाल पकड़कर खींच रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर खुरच रही थीं। मैं चीख़ रही थी, “उफ़… बहुत दर्द हो रहा है!” पर वो रुका नहीं। उसने मेरी गांड को ज़ोर-ज़ोर से चोदा, और मेरा जिस्म दर्द से थरथरा रहा था।

फिर उसने मुझे बेड पर सीधा लिटाया। मेरे पैर हवा में उठाए, और मेरी चूत में फिर से घुस गया। उसकी स्पीड इतनी तेज़ थी कि बेड हिल रहा था। मैं चीख़ रही थी, “आह… और ज़ोर से!” उसने मेरे निपल्स को अपने दाँतों से काटा, और मैं सिहर उठी। उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीर रहा था। दर्द के साथ मज़ा भी था। वो मेरे गले को चूस रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरे जिस्म को मसल रही थीं। मैं कराह रही थी, “उफ़… बहुत मज़ा आ रहा है!” उसने मेरी गांड में फिर से अपना लंड डाला, और इस बार उसकी स्पीड और तेज़ थी। मेरी गांड में जलन थी, और मेरा जिस्म पसीने से चिपचिपा हो गया था। मैं चीख़ रही थी, “आह… और करो!”

उसने मुझे अपनी गोद में उठाया। मैं उसके ऊपर थी, और वो नीचे से धक्के मार रहा था। उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था। मैं उछल रही थी, और मेरे मुँह से चीखें निकल रही थीं, “आह… हाय… थोड़ा धीरे!” पर वो रुका नहीं। उसने मेरे सीने को ज़ोर-ज़ोर से मसला, और उसकी उंगलियाँ मेरे निपल्स को नोंच रही थीं। मेरी साँसें रुक रही थीं, और मेरा जिस्म थरथरा रहा था। फिर उसने मुझे बेड पर घुटनों के बल बिठाया और मेरे पीछे से मेरी चूत में घुस गया। उसकी स्पीड इतनी तेज़ थी कि मैं बेड पर गिर पड़ी। उसने मेरे बाल खींचे और मेरे गले को चूसा। मैं चीख़ रही थी, “उफ़… बहुत हो गया!” पर वो बोला, “तेरी प्यास अभी बुझी नहीं।”

उसने मुझे बेड के किनारे पर लिटाया। मेरे पैर ज़मीन पर थे, और वो मेरे ऊपर था। उसने मेरी चूत में फिर से अपना लंड डाला और ज़ोर-ज़ोर से चोदना शुरू किया। दर्द इतना था कि मेरी चीखें कमरे में गूँज रही थीं, “आह… बस कर!” पर वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे सीने को चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निपल्स पर घूम रही थी, और उसका लंड मेरी चूत को हिला रहा था। फिर उसने मेरी गांड में फिर से घुसाया। उसका हर धक्का मेरे जिस्म को हिला रहा था। मेरी गांड में जलन थी, और मेरा जिस्म दर्द से भर गया था। मैं ऑर्गेज़म तक पहुँच गई, और मेरा मूत निकल गया। मैं शरम से मर गई, पर वो हँसा और बोला, “ये तो होना ही था।” उसने मेरे अंदर अपना पानी छोड़ दिया, और मैं हाँफ रही थी।

चुदाई खत्म हुई। मेरा जिस्म लाल था, और मेरी साँसें तेज़ थीं। उसने कपड़े पहने और बोला, “संजय को मत बताना।” वो चला गया। संजय रात को 9 बजे लौटा, और मैंने उसे कुछ नहीं कहा। मेरा जिस्म दर्द से भरा था, पर मेरी प्यास आशीष के मोटे लंड ने बुझा दी थी।

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