School ki meri dard bhari dopahar
School ki meri dard bhari dopahar
मेरा नाम रानी है। मैं दसवीं में पढ़ती हूँ, एक सरकारी स्कूल में। हमारा गाँव छोटा सा है, और स्कूल में टीचर लोग सख्त रहते हैं। पर उस दिन जो हुआ, वो मेरी ज़िंदगी का सबसे काला दिन था। मेरा टीचर, रमेश सर, जो गणित पढ़ाता था, उसने मेरे साथ ऐसा कुछ किया कि मेरा जिस्म आज भी दर्द से चीख़ता है।
उस दिन दोपहर थी। स्कूल में छुट्टी होने वाली थी। रमेश सर ने मुझे क्लास के बाद रुकने को कहा। बोला, “रानी, तेरे नंबर कम आए हैं, थोड़ा एक्सट्रा पढ़ाई करनी पड़ेगी। मेरे साथ स्टाफ रूम में चल।” मैं डर गई, पर सर की बात टाल नहीं सकती थी। स्कूल खाली हो चुका था, बच्चे जा चुके थे। मैं उसके पीछे स्टाफ रूम में गई। वहाँ कोई नहीं था, बस वो और मैं।
दरवाज़ा बंद करते ही उसकी आँखों में एक चमक दिखी। उसने मुझे कुर्सी पर बैठने को कहा, पर खुद मेरे पास आकर खड़ा हो गया। उसने मेरी कॉपी उठाई और बोला, “ये देख, तू कुछ सीखती क्यों नहीं?” मैं कुछ बोलने ही वाली थी कि उसने कॉपी फेंक दी और मेरा हाथ पकड़ लिया। उसकी पकड़ इतनी सख्त थी कि मेरी कलाई लाल हो गई। मैंने कहा, “सर, छोड़ दो, मुझे दर्द हो रहा है।” पर उसने मेरी बात सुनी ही नहीं।
उसने मुझे कुर्सी से खींचकर उठाया और दीवार से सटा दिया। उसका चेहरा मेरे करीब आया, और उसकी साँसें मेरे मुँह पर पड़ रही थीं। उसने मेरी स्कूल की ट्यूनिक को ज़ोर से खींचा, और बटन टूटकर ज़मीन पर गिर गए। मैं चीख़ी, “सर, ये क्या कर रहे हो?” पर उसने मेरा मुँह अपने बड़े से हाथ से दबा दिया। उसकी उंगलियाँ मेरे होंठों को कुचल रही थीं। उसने मेरी ट्यूनिक फाड़ डाली, और मेरे जिस्म पर अपनी भूखी नज़रें घुमाईं।
मैं छटपटा रही थी, पर उसने मुझे दीवार पर ज़ोर से ठोक दिया। उसका एक हाथ मेरी कमर पर गया, और उसने मेरी स्कर्ट को ऊपर खींच दिया। मैं रो रही थी, पर वो रुका नहीं। उसने मेरे पैरों को अपने घुटनों से दबा दिया ताकि मैं हिल न सकूँ। फिर उसने अपने पैंट की ज़िप खोली, और मुझ पर झुक गया। उसका शरीर मेरे ऊपर था, और उसकी गर्मी मेरे जिस्म को जला रही थी। मैंने हाथ-पैर मारे, पर उसने मेरे दोनों हाथ एक हाथ से पकड़ लिए और ऊपर की ओर जकड़ दिए।
उसने मेरे गले पर अपने दाँत गड़ाए, और मेरी चीख़ उसके हाथ में दब गई। उसका मुँह मेरे सीने पर गया, और उसने मेरे जिस्म को नोंच डाला। मैं दर्द से तड़प रही थी, पर वो हवस में पागल था। उसने मेरे कपड़े पूरी तरह फाड़ दिए, और मुझे नंगा कर दिया। उसकी उंगलियाँ मेरे शरीर पर जहाँ-तहाँ खुरच रही थीं। फिर उसने मुझे ज़मीन पर पटक दिया। मेरी पीठ ज़मीन से टकराई, और वो मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका वज़न मुझे कुचल रहा था। उसने मेरे पैर ज़ोर से फैलाए, और मेरे अंदर घुस गया। दर्द ऐसा था कि मेरी रूह काँप गई। मैं चीख़ रही थी, पर उसकी हवस रुकी नहीं। वो बार-बार मेरे अंदर घुसता रहा, और मेरा जिस्म खून से लथपथ हो गया।
उसने मेरे मुँह से हाथ हटाया, और मैं रोते हुए बोली, “सर, मुझे छोड़ दो।” पर उसने मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा और बोला, “चुप रह, वरना और बुरा होगा।” उसने मुझे फिर से पलट दिया, और मेरे पीछे से मेरे साथ जबरदस्ती की। उसकी हर हरकत क्रूर थी। उसने मेरे बाल पकड़कर खींचे, और मेरा सिर टेबल से टकरा गया। खून बहने लगा, पर वो रुका नहीं। उसने मेरे जिस्म को हर तरह से तोड़ा, और मैं बस दर्द में कराहती रही।
करीब आधे घंटे तक वो मेरे साथ ये बर्बरता करता रहा। मेरे कपड़े फटे हुए थे, मेरा जिस्म खरोंचों और खून से भरा था। जब वो थक गया, तो मुझे ज़मीन पर छोड़कर उठ खड़ा हुआ। उसने अपनी पैंट ठीक की और बोला, “अगली बार नंबर कम आए, तो फिर बुलाऊँगा।” फिर वो चला गया। मैं वहाँ पड़ी रही, टूटी हुई, दर्द से भरी। मेरा जिस्म काँप रहा था, और मेरी आँखों से खून और आँसू बह रहे थे।
किसी तरह मैंने अपने फटे कपड़े लपेटे और घर पहुँची। मम्मी-पापा से कुछ न कहा, क्योंकि डर था कि गाँव में बदनामी होगी। पर वो दर्द, वो जबरदस्ती, मेरे जिस्म में आज भी ज़िंदा है। रमेश सर अब भी स्कूल में पढ़ाता है, और मैं हर दिन उसे देखकर सिहर उठती हूँ।