“Mera vo safar meri chut aur gand mari”

हाय दोस्तों, मैं हूँ अंजलि, एक छोटे कस्बे की मस्त माल लड़की।

मेरी उम्र 22 साल है, और मेरा जिस्म ऐसा कि हर हरामी का लंड मेरी चूत और गांड देखकर खड़ा हो जाए।
मेरा फिगर 34-26-34 है, पतली कमर, मस्त चूचियाँ, और गांड इतनी टाइट कि जींस में भी चोदने को मन करे।
मेरे गुलाबी होंठ और कजरारी आँखें हर लौंडे को मेरी बुर पेलने का सपना दिखाती हैं।
आज मैं अपने इस गंदे ब्लॉग पर वो सच्चाई लिख रही हूँ, जब मैं अपने भाई रिंकू के साथ मौसी के घर जा रही थी।
वो सफ़र – ट्रेन, बस, मेट्रो – मेरी चूत और गांड के लिए चुदाई का काला खेल बन गया। vo safar meri chut aur gand

एक हरामी ने मेरे साथ जबरदस्ती की, और मैं चीखती-तड़पती रो पड़ी।

सब उस सुबह से शुरू हुआ।

हम घर से निकले।

मम्मी ने टिफिन में पराठे और अचार बाँधे।

पापा ने हमें स्टेशन तक छोड़ा।

मैंने टाइट नीली जींस और सफेद टॉप पहना था, जो मेरी चूत और चूचियों को उभार रहा था।

ट्रेन में मैं खिड़की के पास बैठी।

हवा मेरे बालों को उड़ा रही थी।

रिंकू मेरे पास था।

हम हँसी-मज़ाक कर रहे थे।

मेरी चूत में हल्की खुजली थी।

मैंने सोचा, सफ़र लंबा है, मज़ा आएगा।

ट्रेन से हम एक बड़े शहर में उतरे।

वहाँ से बस पकड़नी थी।

फिर मेट्रो से मौसी के घर जाना था।

स्टेशन पर हरामियों की भीड़ थी।

रिंकू आगे चल रहा था।

मैं उसकी पीछे चुन्नी संभाल रही थी।

तभी एक मादरचोद लौंडा नज़र आया।

लंबा, हल्की दाढ़ी, सफेद कुर्ता पहने।

उसकी गंदी आँखें मेरी चूत और चूचियों पर टिकीं।

उसकी नज़र ऐसी थी जैसे मेरी बुर को चोदने का प्लान बना रहा हो।

मैंने नज़रें झुका लीं।

पर उसकी चुदासी निगाहें मेरी चूत में लंड की तरह चुभ गईं।

रिंकू ने पुकारा, “दीदी, चलो!”

मैं उसके पीछे भागी।

बस स्टैंड पर पहुँचे।

बस एक घंटे बाद थी।

रिंकू बोला, “दीदी, चाय पीते हैं।”

हम एक टपरी पर बैठे।

वही हरामी वहाँ आया।

चाय ली, सिगरेट सुलगाई।

उसकी भूखी आँखें मेरी चूत को घूर रही थीं।

हर पल मुझे चोदने का सपना देख रहा था।

उसकी नज़र मेरी गांड पर अटकी।

मेरी चूत में गर्मी बढ़ने लगी।

बस आई।

हम चढ़ गए।

मैं खिड़की के पास बैठी।

वो थोड़ी दूर वाली सीट पर।

सफ़र में वो मुझे ताकता रहा।

उसकी हर नज़र मेरी चूत और चूचियों को चूस रही थी।

मैं डर रही थी।

मेरी बुर गीली होने लगी।

बस से उतरे।

मेट्रो स्टेशन पहुँचे।

रात थी।

हवा ठंडी।

रिंकू एक बेंच पर सो गया।

वही मादरचोद मेरे पास आया।

बोला, “यहाँ पहले आए हो?”

मैंने धीरे से कहा, “नहीं।”

उसने कहा, “मेरा नाम अमन है।”

मैंने कहा, “अंजलि।”

मेट्रो आई।

हम चढ़ गए।

रिंकू सोया हुआ था।

अमन मेरे करीब खड़ा हो गया।

भीड़ बढ़ी।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।

उसकी उंगलियाँ मेरी कलाई पर कस गईं।

उसने कहा, “तुम बहुत मस्त माल हो।”

उसकी आवाज़ में चुदाई की भूख थी।

मैं घबरा गई।

कुछ बोल न सकी।

जब हमारा स्टॉप आया।

रिंकू आगे चल गया।

अमन ने मेरा हाथ ज़ोर से पकड़ा।

बोला, “रुक जा, रंडी।”

मैं रुक गई।

पैर काँप रहे थे।

रिंकू थोड़ा दूर था।

अमन मुझे मेट्रो के एक कोने में ले गया।

वहाँ अंधेरा था।

उसने कहा, “अंजलि, तेरी चूत मेरे लंड के बिना नहीं रह सकती।”

मैंने कहा, “मुझे छोड़ दो, हरामी!”

पर उसने मेरी बात न सुनी।

उसने मेरा चेहरा अपने गंदे हाथों में जकड़ लिया।

अपना मुँह मेरे होंठों पर ठूँस दिया।

उसका चुम्बन ऐसा था जैसे मेरी चूत चोद रहा हो।

मैं पीछे हटना चाहती थी।

पर उसने मुझे दीवार से सटा दिया।

उसकी गर्म साँसें मेरी चूत की तरह मेरे मुँह में घुस रही थीं।

उसकी जीभ मेरे होंठों को फाड़ रही थी।

मैं छटपटाई।

पर उसकी पकड़ मज़बूत थी।

उसने मेरी चुन्नी खींचकर फेंक दी।

उसके गंदे हाथ मेरी कमर पर फिसले।

मुझे अपने जिस्म से चिपका लिया।

मैं चीख़ना चाहती थी।

पर उसने मेरा मुँह अपने हाथ से दबा दिया।

उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ पर खुरच रही थीं।

उसने मेरी गर्दन पर ज़ोर से मुँह रखा।

अपने दाँत मेरे गले में गड़ा दिए।

मैं चीखी, “आह… हरामी, छोड़!”

पर आँखों में आँसू आ गए।

उसने मेरा टॉप फाड़ डाला।

मैं सिर्फ़ अंदर के कपड़ों में थी।

काली पैंटी और लाल ब्रा।

उसने मेरी ब्रा खींचकर फाड़ दी।

मेरी चूचियाँ नंगी हो गईं।

उसका शरीर मेरे ऊपर था।

उसकी हर हरकत गंदी थी।

उसने मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसला।

मैं चिल्लाई, “नहीं, हरामी, मत कर!”

पर वो रुका नहीं।

उसने मेरी पैंटी फाड़ दी।

मेरी चूत नंगी थी।

टाइट, मस्त।

उसने कहा, “साली, तेरी बुर तो लंड माँग रही है!”

मैं रो रही थी।

“छोड़ दो, मादरचोद!”

उसने अपनी पैंट खोली।

उसका लंड बाहर आया – 8 इंच का, मोटा, काला।

मैं चीखी, “नहीं, मत डाल!”

पर उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं।

अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा।

मैं तड़प रही थी।

“हरामी, छोड़ दे!”

उसने ज़ोर से लंड मेरी चूत में ठूँस दिया।

मैं चीखी, “आह… फट गई, मादरचोद!”

वो बोला, “साली, तेरी चूत चोदने में मज़ा आ रहा है!”

वो ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा।

मैं चिल्ला रही थी।

“रोको, हरामी!”

पर वो रुका नहीं।

उसने मेरी चूचियों को चूसा।

मेरे निपल्स को काटा।

मैं चीखी, “उफ़… छोड़ दो!”

उसने मुझे ज़मीन पर पटक दिया।

मेरी गांड हवा में उठाई।

अपना लंड मेरी गांड पर रगड़ा।

मैं चिल्लाई, “नहीं, गांड में मत डाल!”

पर उसने ज़ोर से लंड मेरी गांड में पेल दिया।

मैं चीखी, “आह… फट गई, मादरचोद!”

वो बोला, “कुतिया, तेरी गांड चोदने में मज़ा आ रहा है!”

वो मेरी गांड पेलता रहा।

मैं रो रही थी।

“बस कर, हरामी!”

मेट्रो की हलचल में उसने मेरी चूत और गांड चोदी।

उसका लंड मेरे जिस्म को कुचल रहा था।

मैं टूट रही थी।

मेरे आँसू बह रहे थे।

उसकी गंदी हवस रुकी नहीं।

उसने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया।

मैं चीखी, “हरामी, क्या किया!”

वो हँसा।

उसने मेरे कान में कहा, “अंजलि, तेरी चूत मेरी है।”

मैं चुप रही।

मेरा सब कुछ छिन चुका था।

रिंकू के पास लौटी।

मेरी चूत और गांड दर्द से चीख़ रही थीं।

मौसी के घर पहुँची।

नींद न आई।

अगले दिन उसका फोन आया।

बोला, “कल की चुदाई भूल मत।”

मेरे लिए वो रात चूत और गांड की सजा थी।

फिर एक दिन उसने मुझे मौसी के घर के पास पार्क में बुलाया।

मैं गई।

मन में गुस्सा और डर था।

रात थी।

चारों तरफ़ सन्नाटा।

उसने मुझे बेंच पर खींच लिया।

उसके गंदे हाथ मेरी चूत और गांड पर थे।

उसने कहा, “अंजलि, तेरी चूत मेरे लंड के बिना अधूरी है।”

मैंने कहा, “मुझे छोड़ दे, हरामी!”

पर उसने मेरा मुँह दबा दिया।

मेरी चुन्नी फाड़ दी।

मेरा टॉप खींचकर उतार दिया।

मैं सिर्फ़ पैंटी और ब्रा में थी।

उसने मेरी ब्रा फाड़ दी।

मेरी चूचियाँ नंगी हो गईं।

मैं चीखी, “नहीं, मत कर!”

उसने मुझे ज़मीन पर पटक दिया।

उसका मोटा लंड मेरी चूत में ठूँस दिया।

मैं चिल्लाई, “आह… मादरचोद, निकाल!”

वो बोला, “साली, तेरी बुर फाड़ दूँगा!”

उसने मेरी चूत को ज़ोर-ज़ोर से पेला।

मैं तड़प रही थी।

“हरामी, छोड़ दे!”

उसने मेरी गांड में लंड डाला।

मैं चीखी, “उफ़… फट गई!”

वो बोला, “कुतिया, तेरी गांड चोद-चोदकर मज़ा लूँगा!”

उसकी उंगलियाँ मेरी चूचियों को नोंच रही थीं।

उसका मुँह मेरे गले पर था।

उसने मेरे चूचों को चूसा।

मैं चीखी, “बस कर, हरामी!”

वो मेरे साथ रातभर चुदाई करता रहा।

मेरी चूत और गांड को पेलता रहा।

मैं रो रही थी।

आँसू बह रहे थे।

उसकी गंदी हवस रुकी नहीं।

उसने मेरे अंदर पानी छोड़ दिया।

मैं टूट गई।

उसके बाद मैंने उस हरामी से सारे रिश्ते तोड़ दिए।

मैं उसकी चुदाई भूलना चाहती थी।

पर मेरी चूत और गांड का दर्द मेरे साथ रह गया।

आज ये ब्लॉग लिखते वक़्त मेरे हाथ काँप रहे हैं।

वो सफ़र – ट्रेन, बस, मेट्रो – मेरी चूत और गांड का काला सपना बन गया।

एक मादरचोद ने मेरी बुर और गांड को जबरदस्ती चोदा।

मेरा जिस्म दर्द से भरा है।

मेरा मन टूटा हुआ।

दोस्तों, ज़िंदगी में कुछ पल ऐसे आते हैं।

जो हमारी चूत और गांड को बर्बाद कर देते हैं।

मेरी कहानी में चुदाई है।

जबरदस्ती है।

और एक गंदा सच है।

जो मैंने लिख दिया।

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